गोनू झाक पत्नी आ भाई भोनू झा गाम मे छल।
घुरिया आ ओकर साथी सब हवालात में बंद छल। घुरियाक एकटा मित्र छल। ओकर नाम छल छुट्टन पासी। ओहो चोर छल। ओ बगलक गामक छलाह। जखन ओकरा अपन मित्र घुरियाक बारे मे पता चलल तऽ ओ तमसा गेल, ओ निर्णय लेलक जे ओ अपन मित्रक दुश्मन केँ निश्चित रूप सँ सबक सिखाओत। ई सोचि ओ अपन तीनू संगी केँ अपना संग जोड़ि लेलक।
आब पासी सभ राति भरौरा गाम जाइत छला आ गोनू झाक घर लग अवसर ताकैत छला। मुदा भरि राति ओकरा गोनू झाक पत्नीक आवाज सुनबा मे आबि रहल छल जे अपन देवर केँ नम्हर-नम्हर खिस्सा कहैत छलीह।
मुदा एक दिन पासी के अधहा राति के बाद मौका भेटल। ओ अपन संगी सभक संग घरक पछुआड़ मे आबि मैटिक देबाल मे छेद करय लागल।
ओमहर पंडिताइन सुतल नै छलीह। ओ तऽ आइयो जागल छलीह। रोज जकाँ भोनू जल्दी सुति गेल छल तखन ओ कथा ककरा कहितथि। ओ जनैत छलीह जे गोनू झाक अनुपस्थिति मे दुश्मन एकरा अवसर मानि घात लगा सकैत छल, तेँ ओ बहुत सावधान छलीह। आइयो ओ जाइग रहल छलीह, तेँ पछुआड़ मे किछु हलचल सुनबा मे आयल।
ओ ओहि कोठली मे पहुँचलीह जे घरक पाछूक देबाल सँ जुड़ल छल ।
पंडिताइन के बुझल छलैन जे चोर सभ पाछूक देबाल मे अपन रास्ता बना रहल अछि। कहल जाइत अछि जे संगतिके असर भऽ के रहैत अछि। गोनू झाक पत्नी सेहो पतिक संगति मे रहि चतुर आ साहसी बनि गेल छलीह।
ओ तऽ हल्ला करितथि आ चोर नौ-एगारह भऽ जाइतै मुदा ओहि चोर सभ केँ अपन हाथ सँ पाठ सिखाबऽ चाहैत छलीह जे सोचैत छल जे गोनू झाक अभाव मे हुनकर घर मे चोरी कऽ सकैत अछि।
पंडिताइन आँगन मे आबि मोंगरा उठा उठेलथि। मोंगरा बहुत भारी छल। ओ ओहि कोठली मे आबि सतर्क ठाढ़ भऽ गेलीह।
चोर सभ सुरंग बना देने छल। जखन एकटा भीतर आयल तऽ पंडिताइन ओकरा मोंगरा कऽ जोरदार प्रहार ओकर कनपटी पर केली। चोर बिना कोनो आवाज केने ओतहि जमीन पर गुरिक गेल। दोसर आयल तऽ ओकरो संग सेहो एहने हाल भेल। तेसर आ चारिमक संग सेहो यैह हाल भेल।
तखन पंडिताइन दीप जरा कऽ देखलनि। ओ अपन काज मे तऽ सफल रहली मुदा एकटा गरबर तइयो भऽ गेल छल। मोंगरे के घातक हमला में चारू चोर के मौत भऽ गेल छल। एक बेर पंडिताइन डरा गेलिह। हुनका हाथसँ हत्या भऽ गेल छलनी। जँ कियो जनितथि तँ पुलिस आबितै आ गोनू झाक प्रतिष्ठा पर चोट पहुँचि जैतनि ।
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पंडिताइन बहुत हिम्मत देखबैत चारू मृत शरीर के एकटा कोन मे राखि माटि गूंइथ कुमल के बंद कऽ देलखिन। यद्यपि भरि राति ओ नहि सुतलीह । मृत शरीरक विषय मे सोचि ओ चिंतित छलीह जे कोना ओकरा सँ पाछु छुटत। भरि दिन बीत गेल आ सांझके गोनू झा आबि गेलाह। पंडिताइन जखन हुनका पूरा वृतांत कहली तऽ ओ चकित भऽ गेलाह।
अहाँ... अहाँ चोरकेँ मारि देलियैक।
माइर तऽ ओ अपने गेल छल। हम तऽ किछु औरे सोचने छलियै। हम सोचलौं जे बेहोश भऽ जेतै तऽ हाथ-पैर बान्हि कऽ पूरा गाम जगा कऽ ओकरा धुनाई करायब। आ इहो सोचल जे अहाँक बहादुरी के चर्चा पूरा गाम मे होयत। लोक कहत जे गोनू झा टा नहि, पंडिताइन सेहो कम नै छथि।
सोचने तऽ यैह छलियै मुदा किछु औरे भऽ भेल। धन्य रहू जे भयंकर जाड़ अछि, नै तऽ एखन धरि लाश सँ दुर्गन्ध उठि गेल रहितै। आब समस्या इ अछि जे लहाश के कोना निपटायल जाय। यैह तऽ हमरा किछु नहि बुझि रहल छी। हँ, हम सोचय छि किछु। गोनू झा सोचय लगलाह।
हुनका बहुत देर धरि सोचइयो नै पड़लनि। योजना मोन मे आबि गेलनी। पत्नी जखन सुनलीह तऽ बलिहारी भऽ गेलीह। तहन हम तऽ जाइत छी ढोलकदासकेँ निमंत्रण देबय। गोनू झा बजलाह।
ढोलकदास एकटा पाखंडी आ क्रोधि लोभी साधु छल जे गाम-गाम घुमैत छल आ भरौराक जंगल मे एकटा पुरान मंदिर मे रहैत छल। गोनू झा हुनका लग पहुँचलाह आ हुनका प्रणाम केलनि।
की अछि ? ओ बड़बड़ाइत अछि।
महाराज, खीर, पुरी आ रायताके संग हलूआ के भोजक कार्यक्रम अछि। एकर संग-संग पेरा आ लड्डू सेहो अछि। आ सौ रुपैया दक्षिणा सेहो भेटत।
ई सबटा सामान कतय अछि? ढोलकदासक आँखि चमकि गेलनि।
हमर घर महाराज। काल्हि ब्रह्म मुहूर्त मे हम अपन घर पर ब्रह्मा के पूजा क रहल छी जाहि मे एतेक भोजन बनत। संसार मे मात्र एकेटा ब्राह्मण पर श्रद्धा अछि, तैं सोचलहुँ जे अहाँटा सं पूछब।
एहि मे की पूछबाक अछि? हम तैयार छी। ढोलकदास जल्दी-जल्दी बजलाह।
मुदा प्रभु, किछु नियमक पालन सेहो करय पड़त।
केहन नियम ?
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान केलाक बाद गाम जागय सं पहिने एकैस बेर गायत्री मंत्र के पाठ करय पड़त। गुप्त पूजा छैक। जँ ककरोसँ चर्चा नहि करब तखन अहाँ भोजनक लेल हमर घर पधारु, नहि तँ हम ककरो आनसँ पूछू।
अरे हम छी ने! ककरो आन के की जरूरत छै। गायत्री मंत्र के स्पष्ट आ पाठ्य पाठ सब के नै बुझल छैक। हमर तऽ अभ्यासे यैह छैक।
ताहि लेल हम अहाँ लग आयल छी।
जय हो! हम समय पर पहुँच जायब।
गोनू झा घुरि आयल आ पत्नीक सहयोगसँ एकटा मृतककेँ देबालसँ सटा कऽ ठाढ़ देलक। राति भऽ गेलै आ दुनू गोटे सुइत गेला।
राति मे तीने बजे ढोलकदास दरबज्जा खटखटौलक।
पंडिताइन तुरन्त चूल्हा मे आगि जरेबाक लेल बैसि गेलीह। गोनू झा दरबज्जा खोलि ढोलकदास केँ भीतर केलखिन।
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हम अहिंके प्रतीक्षा कऽ रहल छलहुँ। गोनू झा बजलाह - कियो अहाँक संग तऽ नहि आयल। अहाँक चेला बहुत रास अछि।
कियो नहि आयल, सब सुतल रही गेल। चेला के की करबाक छैक?
गोनू झा हुनका कोठली मे बिछल आसन पर अनलनि।
यौ महराज, ई दोसर व्यक्ति के अछि ?
केकरा लऽ अनलहुँ अहाँ ?
कतय ? के ? ढोलकदास घबरायल।
ओ ठाढ़ कोन मे। हमर पूजा नष्ट भऽ जाइतेँ।
ढोलकदास अपन लाठी उठौलक आ तामससँ में, कोनमे ठाढ़ आदमी के मारि देलक। ओ आदमी खसि पड़ल। दुष्ट, एतेक सावधानी बरतलाक बादो पाछु आबि गेल।
महाराज, मरि गेल बुझाइत अछि। गोनू झा डरसँ बजलाह।
मर गेल ? ओह! ढोलकदास नब्ज टटोलक तँ ओ स्तब्ध रही गेलाह।
ई केहेन अनर्थ कऽ देलियै महाराज। गोनू झा कानय लगलाह - हमर पूजा मे गड़बड़ी तऽ भेवे कैल, अपना लेल फाँसीक व्यवस्था कऽ लेलौं।
फाँसी ? हमरा... हमरा बचाउ गोनू झा। ढोलकदास कानि उठलाह।
अखन गाम सुतल अछि। एकरा उठा कऽ नदी मे फेकि आबू।
अहाँ ककरो नहि कहब।
राम राम ! हम एहन व्यक्ति छी ?
अहाँ बड्ड नीक लोक छी। ढोलकदास मृत शरीर केँ कान्ह पर उठा कऽ चलि गेलाह। गोनू झा दोसर लाश के ठाढ़ कऽ देलखिन। ढोलकदास घुरि एला।
आब जल्दिये पूजा आ भोजनक कार्यक्रम शुरू करू।
मुदा अहाँक सभ शिष्य एतय आबि गेल बुझाइत अछि। तखन ओही कोन मे कियो ठाढ़ अछि। महाराज, अहाँकेँ बजेनाइये व्यर्थ रहल।
ढोलकदास देखलक जे कोन मे कियो तऽ ठाढ़ अछि। क्रोधसँ भैर उठलाह। फेर मारि गिरेलक आ कान्ह पर लऽ कऽ चलैत बनल। आब ओकर बुद्धि स्थिर रहैत। दिन निकलैत-निकलैत चरों लहाश नदी मे फेक एला आ हांफैत-हांफैत बैस गेला। महाराज, पूजाक समय तऽ बीति गेल। आब तऽ कोनो आन दिन शुभ मुहूर्त देखब। भोजन तैयार अछि, खाऊ। गोनू झा बजलाह।
दक्षिणा सेहो गेल हाथ सँ। ढोलकदास चिचिया उठल।
भोजन परोसल गेल। दाल, चाउर आ गुड़।
जँ पूजा-पाठ नहि भऽ रहल तखन पकवान कोना बनत। गोनू झा स्पष्ट केलनि।
ढोलकदास मरल मोन सँ भोजन खेलनी। जाइत काल गोनू झा हुनकर भव्य भोज छीनि लेने छलाह। ओकरा तऽ खैर सजा भेटि गेल। धन्यवाद तऽ गोनू झा के जे हुनका निश्चित फाँसी सं बचा लेलैन। गोनू झा आ हुनक पत्नी राहतक साँस लेलनि।
एकटा पैघ संकट सं पीछा छूटी गेल छल। पति-पत्नी दुनू मुस्कुरा उठलाह।
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