शुक्रवार, 21 जून 2019

अहाँ सनक नहि आन, हे जानकी (प्रभाती गीत) - मैथिली पुत्र प्रदीप Ahan sanak nahi aan he janaki

अहाँ सनक नहि आन, हे जानकी, 
अहँक सनक नहि आन। 
जकरा अहाँक सदय दृग भेटल, 
से बनि गेल महान। 
हे जानकी, अहाँक सनक नहि आन।

अहिंक कृपाबल सभजन पबइछ, 
अनुपूर्णा कहि, सभगुण गबइछ। 
नहि कियो अहँक समान 
हे जानकी, अहाँक सनक नहि आन ।।

दुर्गे दुर्गति नाशिनि अम्बे ! 
काली-काल जयी जगदम्बे ! 
सीताक शक्ति महान, 
हे जानकी, अहाँक सनक नहि आन।

अहँक बिना के, अपन जगत मे, 
संसारक सुधि थिक सभ सपने। 
हरु प्रदीपक अज्ञान 
हे जानकी, अहाँक सनक नहि आन।

रचनाकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)

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