गुरुवार, 21 जनवरी 2016

अहिंक सिनेह भेटल से सही लिरिक्स, जीवन गीत - Ahink Sineh Bhetal Se Sahi Song

जननि उदरसँ, भेलहुँ बहार, 
माय हमर पड़ि गेलीह बीमार। 
सतत उपेक्षित बनल रही
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥ 

भेटइत छल नहि बकरीक दूध, 
कनइत-कनइत होइ बेसूध। 
अहिंक दयामृत पिबैत रही, 
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

जखन भेटल नहि पुष्ट अहार, 
झक-झक जागल छातीक हाड़। 
करुण नयनसँ तकैत रही, 
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

बैसल कण्ठ क्षणिक संचार, 
आँखिमे छल गुज-गुज अन्हार। 
आश अहिंक छल आठो घड़ी, 
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

भेलहुँ जखनहि वयस कशोर, 
अहिंक चरणकेर धयल पछोड़। 
भजन अहिंक नित रचैत रही, 
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

संसारी सभ शिक्षा लेल, 
सरकारी सेवा भेटि गेल। 
सदिखन बनल तबाह रही, 
अम्बे ! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

स्वप्न देखल जगजननी रूप, 
भेटि गेल संबल सुपथ अनूप। 
जागल पूर्व पुण्य श्रद्धामयी, 
अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

मा सीते! अहाँ भेलहुँ समीप,
तेँ श्रीमैथिलिपुत्र 'प्रदीप'।
जनम-जनम तुअ चरण गही, 
हे अम्बे! अहिंक सिनेह भेटल से सही॥

गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)

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