मिथिला धरोहर, सहरसा : मिथिला के दोसर विद्यापति के रूप मे चर्चित सहरसा जिलाक चैनपुर ग्राम निवासी पंडित मधुकांत मधुकर जी केर ९४वां जन्म दिन मंगलदिन के धूमधाम सँ मनायल गेलनि। एकटा अप्रितम शिवभक्त और संस्कृत संगेह मैथिली भाषा साहित्य के श्रष्टा के रूप मे मानल जाइत छथि।श्री मधुकांत मधुकर जी अपन पिता स्वरूप लाल झा और माता छेदनी देवी के निरंतर प्रयास सँ शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कऽ शिक्षक पद के बखूबी दायित्व निर्वहन केलनि। अपन शिक्षण पेशा के संगेह लेखन कार्य मे सेहो महारत हासिल केलनि।
इहो पढ़ब :-
१९६८ सँ १९७४ धरि मधुकर बाबा आकाशवाणी पटना मे योगदान दऽ सांस्कृतिक प्रवचन के माध्यम सँ समाज के नवचेतना प्रदान केलथि। हुनक प्रकाशित रचना मे समाज सौगात नवीन नचारी अभिनव नचारी, मधुकर नचारी, नीलकंठ मधुकर पदावली समलित अछि। ओहि प्रकार नारद भक्ति सूत्र केर मैथिली अनुवाद सेहो कऽ मिथिला के नव दिशा आ ऊंचाई प्रदान केलनि। मधुकर बाबा १९७१ मे नीलकंठ कमरथुआ संघ के स्थापना केलनि जे परम्परा आयो चली रहल अछि। ताहिके अंतर्गत माघ मास मे हजारों कमरथुआ हरे-राम हरे राम..हरे-कृष्ण केर कीर्तन कऽ बैद्यनाथ धाम जा रहल छथि। मधुकर बाबा मिथिला मे अध्यात्म आ समाजसेवा के नव आयाम देलनि। हुनकर दीर्घायु जीवनक कामना करते हुनक द्वारा मैथिली एवं संस्कृत साहित्यक क्षेत्र मे हुनक उल्लेखनीय कार्य के देखैत हुनका मिथिला रत्न आ साहित्य अकादमी के द्वारा पुरस्कृत कैल जेवाक ग्रामीणों सब मांग केलैथ अछि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !