लाल छउ लिलोह माँ करेज लगाले,
कोरा मे उठा ले।
दुनिया मे अपन आर के हेतइ ?
जे किछु अपराध हमर बिसरि जाउ मैया,
भव समुद मे डुबैछ आइ हमर नैया।
नेह नाव पर चढा किनार लगादे,
कोरा मे उठाले॥
दुनिया मे...
प्रेम के पियास लेने देख कियो एलउ,
माय माय करैति कियो चरण मे लोटेलउ
चरण के नहि झाङ मा शरण मे लगाले,
कोरा मे उठा ले॥
दुनिया में...
स्नेह बिनु प्रदीप केर मिझा न जाइक बाती,
कहतै के माय छौ कठोर तोहर छाती।
हम अन्हार में उदार ज्योति देखा दे,
कोरा मे उठा ले।
दुनिया मे अपन आर के हेतई ?
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !