बाबा बैद्यनाथ कहाबी से सुनि शरण मे एलउ ना।
बहुत भरोस लए के एलउ चरण मे, कनडेरियो हेरब ना।
नहि तऽ माँ जगदम्बा के संगहि हम बसहा घेरब ना।
त्रिशुल बाघम्बर झारी, तेजि कए महल अंटारी बन मे एलउ ना।
बाबा, छोड़ल छप्पन भोग अहाँ नित भाँग चिलबेलउ ना।
दुतियाक शोभए चन्ना सिर पर सुरसरि गंगा भक्तक कारण ना।
बाबा कयलहुँ ताण्डव नृत्य डमरु सँ वेद उच्चारण ना।
अहाँक चरण तेजि ककरा निहारी सहलहुँ बहुत प्रतारण ना।
बाबा दीन 'प्रदीपक' वेदन सुनियो हमर निवेदन ना।
रचनाकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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