गुरुवार, 24 मई 2018

छलहुँ बाटपर खसल सुगंधिविहीन फूल मौलायल - मैथिली पुत्र प्रदीप Chhalahu Baatpar Khasal Sugandhi Vihin Lyrics

Chhalahu Baatpar Khasal Sugandhi Vihin

छलहुँ बाटपर खसल सुगंधिविहीन फूल मौलायल।
टुह-टुह लाल सिमरतर पसड़ल धूरामे ओंघरायल। 

लतखुरदन कयने छल मानव ,पशु छलहुँ छितरायल।  
अविरल झंझावातक कारण अन्हरमे उड़ियायल।

ममतामयी जगतजननी जेँ सहृदय आबि उठाओल । 
हमरा सनक अकिञ्चनकेँ निज कोरमे बैसाओल।  

सम्बल भेलहुँ अहाँ ज़खन मा! तखन किएक सुत कानय।
स्वयं अम्ब अवलम्ब भेलहुँ से बात सकल जग जानय।

सीतारामक ममता जागल, देलनि अकाश ठेकाय।  
तुच्छ जीव हम, लेलनि माय श्रीमैथिलीपुत्र बनाय॥

 गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)

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