बाबा जँ ठोकरेथिन सबटा कहबनि अपना मैया कँ।
मैया तो जँ ठोकरएमे तें ककरा कहबई सुनइत के ?
बेटा करए मुकदमा दायर अपना माइक कोट मे,
बाबा तोरा हरा देब हम माइक नेहक बोट मे।
माफ न गलती कैलहुँ बाबा छोट तनय अज्ञानी के,
मैया माफ न करती बाबा अहाँक एहि मनमानी के।
तों विश्वम्भर भने कहाब हम नहि देबउ मोजर हौ,
जा धरि तों ने देखएबह बाबा रुप तोहर जे औढर हौ।
विश्वम्भरी जननि हमरे छथि तोरो हुनके शक्ति हौ,
तैयो चाहि रहल छह बाबा आइ 'प्रदीपक' भक्ति हौ।
धन्य अहीँ छी बाबा जग मे अहिंक थीक संसार यौ,
मैया रहती संग सदा, जँ करबई बेरा पार यौ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !