बुधवार, 31 मई 2017

गौरी के आंगन सोहाओन माइ हे लिरिक्स - समदाउन लोकगीत

गौरी के आंगन सोहाओन माइ हे, 
कानथि गौरी माइ
गौरी के कानबे पटोर नोरे भीजि गेल, 
परिजन तेजलो ने जाइ
अंगनामे डोलिया लगौलनि शिवशंकर, 
शुभ घड़ी बीतियो ने जाइ
आइ हे माइ हे पर हे परोसिन, 
शिवजी के कहू ने बुझाइ
बड़ रे जतन सौं गौरी बेटी पोसलहुँ, 
एक बेर दिअ ने घुमाय
भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, 
सभ धीया सासुर जाइ
सभ मनकामना हुनकहि संगमे, 
दृढ़ करू अपन गिआन

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