रविवार, 5 जुलाई 2015

कजरा जे पारि पारि लिखलमे कोहबर लिरिक्स | कोहबर लोकगीत

Kajaraa Je Pari Pari Likhalme Kohbar 

कजरा जे पारि पारि लिखलमे कोहबर, लीखि लेल चारू भीत गे माई
हे झाड़ि लीखू कोहबर, अवध लिखू कोहबर
ताहि कोबर सुतला रामचन्द्र दुलहा, पीठ लागि सिया सुकुमारि गे माई हे झाड़ि...
घूरि सुतू फिरि सुतू राजा के बेटिया, अहूँ देह गरमी अपार गे माई हे झाड़ि...
एतबा वचन जब सुनलनि कनियाँ सुहबे, रूसि नैहर चलि जाथि गे माई हे झाड़ि...
घुरबय गेलथिन देओर से लक्ष्मण देओर, मानू भौजी बात हमार गे माई हे झाड़ि...
हम नहि घूरब देओर फेरू अहूँके वचनियाँ, कोबरक रीत अनरीत गे माई हे झाड़ि...

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