रविवार, 2 अगस्त 2015

काँच ईंटाक महल उठाओल सोना मुठी लागल केबार हे लिरिक्स | कोहबर लोकगीत

Kanch Etaak Mahal Uthaol Lyrics

काँच ईंटाक महल उठाओल, 
सोना मुठी लागल केबार हे
नव वर-नव कनियां
ताही कोबर सूतऽ गेला फलां दुलहा, 
कनियां सुहबे सुतू संग साथ हे
नव वर-नव कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू कनियां से सुहबे, 
अहूँ देह गरमी अपार हे
नव वर-नव कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां, 
पलंग छोड़ि भूमि गेली लोटाय हे
नव वर-नव कनियां
आबथु सरहोजि बैसथु पलंग चढ़ि, 
देखि लेथु ननदो चरित्र हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया रसिया बड़रे दुलरुआ, 
पाकल पान नहि खाथि हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया प्रभु बड़ रे दुलरुआ, 
बात सहब नहि जानथि हे
नव वर-नव कनियां

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