बुधवार, 17 जून 2015

सुन्दर कनियां राम रतनियां, सोने मूठी लागल केबार हे लिरिक्स | कोहबर लोकगीत

Sundar Kaniya Ramratniya Sona Muthi

सुन्दर कनियां राम रतनियां, सोने मूठी लागल केबार हे
नव वर-नव कनियां
ताहि कोबर सुतला दुलहा से फल्लां दुलहा, 
संग लागि सिया सुकुमारि हे
नव वर-नव कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू राजाजी के बेटिया, 
अहीं घामे चादरि मलीन हे
नव वर-नव कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां सुहबे, 
सेज छोड़ि भूमिमे लोटथि हे
नव वर-नव कनियां
अंगना बहारैत तोहें सलगी गे चेरिया, 
सरहोजि दही ने बजाई हे
नव वर-नव कनियां
आबथु सरहोजि बैसथु पलंग चढ़ि, 
देखि लेथु ननदो चरित्र हे
नव वर-नव कनियां
अहाँ तऽ नन्दोसिया जी सांवर रे भमरवा, 
मोरा ननदी कमलक फूल
नव वर-नव कनियां

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