एते दिन भमर हमर छल सखि हे,
आजु गेल विदेश
मधुपुर भमरा लोभाए गेल सखि हे,
मोरा किछु कहियो ने गेल
भूखल अन्न ने खायल सखि हे,
प्यासल पीब ने पानि
कतेक जनम सँ बोधल सखि हे,
तइयो बसु ओतहि प्राण
श्रीखंड जौं शीतल भेल सखि हे,
शीतल आब नब रीत
चक्रपाणि कवि गाओल सखि हे,
पुरुषक कोन परतीत
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