जखन रघुबर संग सिया वन चलली,
मोने मोन करथि विचार
केहन करम मोरा लिखल विधाता,
चौदह बरख बनवास
धीरे-धीरे चलिअउ देओर यौ लछुमन,
पयर मोर अधिक पिराय
किये हम बिगारलहुँ हे माता कैकेयी,
देल तरुणी वयस बनवास
भनहि विद्यापति सुनू सिया सुन्दरि,
विधि लीखल मेटल ने जाय
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