जखनहि रामचन्द्र चलला अवध सँ,
संग भेल लछुमन भाइ
सगुनक पोथिया उचारू भइया लछुमन,
कते दिन लिखल बनवास
कय दिन केर एक रे महिनमा,
कय बरस लिखू बनवास
तीसहि दिन केर एक रे महिनमा,
बारह बरस लिखू बनवास
एक तऽ बैरिन भेल बीध विधाता,
दोसर कैकेयी माय
तेसर बैरिन भेल इहो रे पंडित,
तीनू मिलि देल बनवास
भनहि विद्यापति गाओल उदासी,
राम के लिखल बनवास
जखनहि रामचन्द्र चलला अवधसँ,
सुन्न भेल दशरथ धाम
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