चरखा काटय काल के गीत
कौने बाबा जयता आनन्द वन,
ओ जे लयता सोना के चरखा हे
कोन-कोन दाइ कटती मेही सूत,
कोने बाबू होयता ब्राह्मण हे
अपन बाबा जयता आनन्द वन,
ओ जे लयता चरखा हे
अपन दाइ मे ही सूत काटती,
ओ जे फल्लां बरुआ होयता ब्राह्मण हे
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