सिया मुखचंद्र छवि छाई चहुँ ओर हे
सिया मुखचंद्र छवि छाई चहुँ ओर हे
प्रेमसिंधु अंगना में,
प्रेमसिंधु अंगना में उठत हिलोर हे,
प्रेमसिंधु अंगना में उठत हिलोर हे,
प्रेमसिंधु अंगना में,
विविध विभूधतीये देखी भेली भोर हे
विविध विभूधतीये देखी भेली भोर हे
मिथिला के वासी सब,
मिथिला के वासी सब आनन्द विभोर हे,
मिथिला के वासी सब आनन्द विभोर हे
मिथिला के वासी सब,
यद्यपि मदन सन अबध किशोर हे
यद्यपि मदन सन अबध किशोर हे
तदपि किशोरी मुख,
तदपि किशोरी मुख निरखि चकोर हे
तदपि किशोरी मुख निरखि चकोर हे
तदपि किशोरी मुख,
कहथि स्नेह लता दुहु कर जोर हे
कहथि स्नेह लता दुहु कर जोर हे
बसु सिया हिया बीच,
बसु सिया हिया बीच हमर निहोर हे
बसु सिया हिया बीच हमर निहोर हे
बसु सिया हिया बीच,
सिया मुखचंद्र छवि छाई चहुँ ओर हे
सिया मुखचंद्र छवि छाई चहुँ ओर हे
प्रेमसिंधु अंगना में,
प्रेमसिंधु अंगना में उठत हिलोर हे,
प्रेमसिंधु अंगना में उठत हिलोर हे,
प्रेमसिंधु अंगना में
इहो पढ़ब:-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !