असमंजस में ओझा हम तार देने छी
अहाँ आबू ने किया पहाड़ बनल छी
असमंजस में ओझा हम तार देने छी
अहाँ आबू ने किया पहाड़ बनल छी
असमंजस में, अहाँ आबू ने
जेना सीता कनैत छली बोन बोन में
बन्नेह छलौं आछि जे प्रेमक गिडह मोन मे
तीन बेर पत्र लिखल जबाबो ने एल
बुझना जाए ऐछ जे देशक सब भार लेने छी
असमंजस में ओझा हम तार देने छी
अहाँ आबू ने किया पहाड़ बनल छी
असमंजस में, अहाँ आबू ने
कोना बिसरल छी बारीक गेनहारी अनमोल
केना बिसरल छी साइरिक मधुर सन बोल
अहिं कहु मनोरथ कोना कऽ पूरत
अहाँ मोरंग में बैसल कपार धुनै छी
असमंजस में ओझा हम तार देने छी
अहाँ आबू ने किया पहाड़ बनल छी
असमंजस में, अहाँ आबू ने
कनक मंदिर में जेना दिया बाती नै
भरल यौवन मुदा हमर दिया बाती नै
जेना टिम टिम जरै बिना तेलक दिया
तहिना अहाँ बिना ओझा दिन राइत जरै छी
साइर दुलरीक मंदिर सजौ ओझहा
बहिन मीता के दुल्हिन बनाउ ओझहा
अहाँ बौंसल जमै बनी सासुर मे आउ
किया सोन सनक कनियाँ सं दूर भागय छी
असमंजस में ओझा हम तार देने छी
अहाँ आबू ने किया पहाड़ बनल छी
असमंजस में, अहाँ आबू ने
स्वर: हरि नाथ झा, गीतकार: नवल नन्द
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