शनिवार, 6 जुलाई 2024

हम छी सीता हमर ई जनक नगरी लिरिक्स - Ham Chhi Sita Hamar E Janak Nagri Lyrics

हम झेलम नहायब, 
हम सतलजो नहायब 
हम गंगो मे नहायब 
हम त्रिवेणीयो नहायब 
मुदा मिथिले के जल सँ भरब गगरी 
हम छी सीता हमर ई जनक नगरी

किरण उगलो नै हेत हम कातिक नहायब 
माघ मासो नहायब बैसाखो नहायब 
अकासे मे आइ अपन नुआ सुखायब 
हम छी सीता हमर ई जनक नगरी

एकर कण-कण मे बास करय सपना हजार 
एकर सुरभित बयार एकर हरियर दयार 
अकासे मे आइ हम दीप जरायब 
हम एकर लाज आ ई हमर चुनरी 
हम छी सीता हमर ई जनक नगरी

अपन ज्ञानो बढायाब विज्ञानों बढाएब 
अपना मिथिला के नया नया रंग मे सजाएब 
उच गगनक घटा हम ओकर बिजुरी 
हम छी सीता हमर ई जनक नगरी

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