बिलखि-बिलखि काने, सती हे सुलोचना राम
सतीहेला हिया भेल पिपरक पात ।।
बीच रे कपार पर डकि देल कगबा राम
डकि देल कगबा।
कहि देल अधखि के बात ।।
आरे, खसल अंगनमा में पिया जी हथबा राम
पियाजी के हथबा
लिखि देल अपन हबाल ।।
आरे हमरा वियोग में न कानू खिजू तनिको राम
कानू खिजू तनिको
रामजी से होयत मुलाकात ।।
आरे 'लतिका सनेह' एहो गाबे समदौनियाँ राम,
गाबे समदौनियाँ रानी के अमर अहिबात ।।
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