शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

चारि पाँति सुनू रामकेर नाम सँ लिरिक्स - Chari Paanti Sunu Ram Ker Naam San Lyrics

चारि पाँति सुनू रामकेर नाम सँ 
पत्र लिखलनि जे सीता धरा-धाम सँ 
भेल जिनगीकेर गेंठ फुलवाड़ी केर भेंट 
नाम तहिये जोड़ाएल अहाँक नाम सँ।

प्रथमहि धरैत तीनि माताकेर ध्यान 
कहि राजाकेर जय हो! हे प्रियतम परिणाम 
अहाँ कोनाक हमरा बिसारिये गेलहुँ 
बाट तकिते छी एखनहुँ अपन गाम सँ ।

यदि हमरे सिनेहवश लंका गेलहुँ 
तँ पातालहुँ मे आउ किये पाथर भेलहुँ 
संग चूड़ी आ सेनुर एतहु अछि हमर 
अहाँ बारल नहि जाएब कोनहुँ सम्मान सँ।

पातालहुँ मे सागर कहबै अछि पिया 
चान कारी एतय आ सुरुज करिया 
समइतहुँ नहि धरती तँ जैतहुँ कतय 
कहु जीवितहुँ कोना हम घटल मान सँ।

हरण होयबाक बाद हम लंका मे जैब 
सेतु सागर पर साजि अहाँ विजयी कहबै 
अयोध्या मे आनि फेर जंगल पठायब 
अहाँ परिचित छलहुँ सब परिणाम सँ।

आबि अहाँ देखाएब झलक जहिया 
हम कोना खसाएब पलक तहिया 
हम ककरा सँ करबै कोनहुँ याचना 
अहाँ कम छी कहू कोन भगवान सँ।

कने बाजू हे प्राण अहाँ ई की केलहुँ 
कोना सोना के अहाँ मानि सीता लेलहुँ 
हम विदेहक धिया तें विदेही भेलहुँ 
तथ्य राखब नुकाय हमर सन्तान सँ।

नहि एखनहुँ अहाँ सँ इतर भेल छी 
आब रघुकुल केर हमहुँ पितर भेल छी 
धिया ससुरहि मे नीक, बाद स्वर्गहि मे नीक 
हम मानिनी कहाबी अपन मान सँ।

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