गुरुवार, 11 सितंबर 2025

चिट्ठी के तार बुझु लिरिक्स - Chitthi Ke Taar Bujhu Lyrics

चिट्ठी के तार बुझु, बुढ़िया बेमार बुझु 
गोले बात जानी तँ उघरल भरार बुझु 
गाम चलि अयबा लय, मुँह देखि जयबा लय 
बुढ़िये के कहला पर एकरा हकार बुझु..

जे से डीहे बचल, लऽ दऽ सेहो बिकैत 
माटी हबकब तँ नै, लोक अन्ने तँ खेत 
जन्म देलनि माय थीकि सेहो कने सोचु 
हमरा की हमरा तँ उसरल बजार बुझ 
चिट्ठी के तार बुझु, बुढ़िया बेमार बुझ 
मास जाड़ ठाड़ बुझु, इज्जति उघार बुझु 
एतबहि लिखेत छि जे गाड़ी ओनार बुझु...

बरद एक्केटा छल, सेहो पहिने मरल 
खेत अनके दखल, तै पर करजा लदल 
तँ जैह-सैह आबि, जैह-सैह कहि जाइछ 
सहिते-सहैत आब भथि गेल इनार बुझु
चिट्ठी के तार बुझु, बुढ़िया बेमार बुझु 
काया लचार बुझु, वैदक उधार बुझु 
कतेक बात लिखब की आफत हजार बुझु..

कनियाँ के कहबनि, जौं अबितथि तँ ठीक 
सासु हुनको छथिन, से जौं बुझितथि तँ नीक 
आबथि तँ धिया पुता संग नेने आबथि 
अहाँ आबि नै आबि से अपने बिचार बुझु 
चिट्ठी के तार बुझ, बुढ़िया बेमार बुझु 
उतरी के हार बुझु, सदिखन तैयार बुझु 
हमरा की हमरा तँ चलता कहार बुझु..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !