जगत सं थाकि जगदम्बे
अहिं के पथ आबि बैसल छी,
हमर ने क्यो सुनय अछि हम
सभक गुण गाबि बैसल छी,
नै केलौं पाठ और पूजा,
नै केलौं ध्यान और सेवा,
छलौं लागल कुसेवा में,
तकर फल पाबि बैसल छी,
जगत सं थाकि जगदम्बे
अहिं के पथ आबि बैसल छी
करे अपराध जौं बालक,
नै होय मन रोस माता के,
अहि विश्वास के केवल
हृदय में राखि बैसल छी
जगत सं थाकि जगदम्बे
अहिं के पथ आबि बैसल छी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !