की थिक मिथिला के छथि मैथिल,
हम कहैत छी ओरे सँ,
मिथिलावासी सुनु पिहानी,
हम कहैत छी तोरे सँ...
सूर्य उगैत छैथि बांस दोगे,
साँझ ढ़रय यै बारी में.
तुलसी दल के पूजक छी हम,
दीप सजाबी थारी में...
बम भोला के दर्शन होइयेए
गीतक भास नचारी में,
उत्पाती लक्ष्मी के मुनलहुँ,
कोठी आर बखारी में...
आंगन आंगन एतय गोसाउन,
विष्णु रहै छथि झोड़ी मे
त्रिभुवन पति बान्हल छथि अखनो,
प्रेमक पातर डोरी मे
साग खोंईट क गुजर करि हम
सन्तान अयाची बापक हम
बाल हम जगदानन्दक केर
सबसँ पहिल गायक हम
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