सखी बहिनपा किछ नही कहिअऊ,
समैध डुप्लीकेट हे
बाप सनक मुंह बर के नहीं छनि,
बिल्कुल फेटम फेट हे
भाटा भटवर संग खुअबियौन,
खूब चहटगर तरुआ हे
गोर लागै छी भेद ने खोलियौ
समैध हमर भरुआ हे
बेच कऽ बेटा पेट भरै मे,
कनियो ने लजाय हे
बिना दांत के माछक मूड़ा,
टुप टुप गिरने जाय हे
गदर फादर सन धोती छैन आ,
कुर्ता छैन ढक ढोल हे
इ सब अनकर मांगी पहिरला,
बड़का बड़का बोल हे
समधिन हमर फूल कुमारी,
बूढ़ा सं की आस हे
समैध जाउथ बंगोरा कोठी,
समधिन के खबास हे
शुभ शुभके सब धिया बियाहू,
आंगन करू जमाए हे
आगु जँ बुढ़बो बिढ़नी हेता
आर देबैन उसकाय हे
गीतकार : सवर्ण लता झा
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