गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

आरसी प्रसाद सिंह परिचय - Arasi Prasad Singh Ke Jivan Parichay

साहित्याकाश के उज्ज्वल नक्षत्र कवि श्री आरसी प्रसाद सिंह केर जन्म 19 अगस्त 1911 मे मिथिलाक समस्तीपुर जिलाक रोसड़ा रेलवे स्टेशन सं आठ किलोमीटर दूर एरौत गांव भेल छलनी। हिनकर पूरा नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह छलनी।

आरसी प्रसाद सिंह के कवित्व रूपक दर्शन स्कूले काल सं होमय लागल छलनी। 16 वर्षक उम्र मे हिनकर एकटा कविता ‘आम का पेड़’ लहेरियासराय सं प्रकाशित ‘बालक’ नामक पत्रिका मे छपलनी आ पुरस्कृत भेलनि। हुनकर साहित्यिक रुचि आ लेखन शैली सं प्रभावित भ के कवि रामवृक्ष बेनीपुरी हुनका “युवक” समाचार पत्र मे अवसर प्रदान केलथि। बेनीपुरी जी तहन ‘युवक’ के संपादक छलथि।

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सन 1938 मे प्रकाशित काव्य संग्रह ‘कलापी’ हिनक प्रसिद्धि के चाइर चांद लगा देलकनि। रामचन्द्र शुक्ल जी हिन्दी साहित्य के इतिहास मे एहि काव्य संग्रह के विशेष रूप सं उल्लेख केने छथि। 1942 मे आरसी प्रसाद जी के काव्य संग्रह आ ओहि वर्ष पांच पल्लव और खोटा सिक्का नामक दु टा कहानी संग्रह सेहो प्रकाशित भेलनि। आरसी प्रसाद सिंह के 'जीवन का झरना' कविता हुनकर जीवन के परिभाषित करैत अछि। 

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आरसी प्रसाद जी खगड़िया के कोशी कॉलेज मे वर्ष 1948 मे हिन्दी प्राध्यापक के नौकरी केलथि। 1951 मे नौकरी छोइर आपस गांव आबि गेलथि।गांव मे सेहो बहुते दिन धरि नै रही सकलाह आ पटना आबि के रहय लगलैथ। 1956 मे हुनका इलाहाबाद आकाशवाणी सं काजक प्रस्ताव भेटलनि, जेकरा ओ स्वीकार क लेलथि। सन 1957 मे हुनकर ट्रांफर लखनऊ भ गेलनि, त ओतय चली गेलाह। एहि दुनु जगह पर साहित्य सृजनक गति प्रदान केलथि। सन 1958 मे ओ आकाशवाणी के नौकरी छोइर देलथि। नौकरी छोरलाक उपरांतो बहुते दिन धरि लखनऊ मे रही क साहित्य सेवा करैत रहलैथ। एकर बाद मुजफ्फरपुर आबि गेलथि, मुजफ्फरपुर प्रवासक दौरान हुनकर कतेको कालजयी पुस्तक के प्रकाशन भेलनि।
आरसी प्रसाद सिंह जी के भाषा सरल आ सुगम अछि। मैथिलि भाषा मे सेहो हिनक लिखल रचना अत्यंत लिकप्रिय अछि। मैथिली कविता संग्रह - माटिक दीप, पूजाक फूल, मेघदूत, और सूर्यमुखी आदि प्रमुख अछि। मैथिली साहित्य के लेल साहित्य अकादमी दिसन सं 1984 मे मैथिलि काव्यकृति 'सूर्यमुखी' लेल हुनका पुरस्कृत आ सम्मानित सेहो कैल गेलनि। पटना मे 15 नवम्बर 1996 के हिनकर देहांत भ गेलनि। 

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