सींथ नोत कालक लोकगीत
1. सभ सखि चलू गृह मोर - लिरिक्स
कि मंगल गायब हे
जानकी होयत विवाह
जनकपुर आयब हे
आभरण वसन सहित
आनि पहिरायब हे
सीता बैसतीह आसन पर
सींथ नोतायत हे
दूभि धान लए हरि बैसताह
आरत पान लए हे
माहर लए सींथ लगओताह
सीया सीथ नोतल हे
भनहि तुलसी दास
सीता राम नेह लगाओल रे
2. प्रिय पाहुन सिया के सींथ नोतू लिरिक्स
प्रिय पाहुन सिया के सींथ नोतू
चानन पान हम पहिने सँ राखल
सीता जी के सींथ अहाँ मन सँ नोतू
प्रिय पाहुन सिया के सींथ नोतू
सींथ नोतीय सीता मांड़ब पर जयती
होयत सीता सँ विवाह
प्रिय पाहुन सिया के सींथ नोतू
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