१. सांझ भयो घर - Maithili Sanjh Geet
सांझ भयो घर दियरा जरी रेदियरा के चकमक हीरा जरी रे
कथी के दीप कथीक सूत-बाती
कथी के तेल जरय सारी राती
सोना के दीप पाटहि सूत-बाती
सरिसो के तेल जरय सारी राती
जरय लागल दीप झमकऽ लागल बाती
खेलऽ लगली संझा मइया चारूपहर राती
२. सांझ दियऽ सांझ दियऽ - सांझ लोकगीत
सांझ दियऽ सांझ दियऽ जसुमति मइयाबीति गेल पहिल सांझ
कथी केर दीप कथीक सूत-बाती
कथीक तेल जरायब सांझ
सोनाकेँ दीप पाटक सूत-बाती
सरिसो केर तेल जरायब सांझ
जरय लागल दीप झमकय लागल बाती
खेलय लगली संझा मइया सारी राती
३. सांझे काली घर दीप - Maithili Lokgeet
सांझे काली घर दीप लेसि लीअ हेगोर लागि लीअ हे
कथी केर दीप कथीए सूत-बाती
कथी केर तेल जरय सारी राती
सोना केर दीप पाटक सूत-बाती
सरिसो केर तेल जरय सारी राती
जरय लागल दीप झमकऽ लागल बाती
खेलय लगली संझा मइया चारू पहर राती
साँझे काली घर दीप लेसि लीअ हे
गोर लागि लीअ हे
४. सांझ भयो मुख दर्शन - Maithili Lokgeet
सांझ भयो मुख दर्शन हे सखि सुन्दर भवनमेके गाबथि के बजाबथि के आरती उतारथि
हे सखि सुन्दर भवनमे
सखि सब गाबथि गोपी सब बजाबथि राधा आरती उतारथि
हे सखि सुन्दर भवनमे
सांझ भयो मुख दर्शन हे सखि सुन्दर भवनमे
५. मुरलीधारी यौ सांझ पड़ैते - Maithili Lokgeet
मुरलीधारी यौ सांझ पड़ैते घर आयबकथी केर दीप कथी सूत-बाती
मूरलीधारी यौ कथी केर तेल जरायब
सोना केर दीप मुरली सूत-बाती
मुरलीधारी यौ सरिसो केर तेल जरायब
जरय लागल दीपधारी झमकऽ लागल बाती
मुरलीधारि यौ खेलऽ लगली संझा सारी राती
६. सांझ भेल नहि अयला मुरारी - Maithili Lokgeet
सांझ भेल नहि अयला मुरारीकहाँ अँटकल गिरधारी सखि हे
घर-घर फिरथि मातु जशोदा
सभसँ करथि पुछारी सखि हे
कारण कोन नाथ नहि अयला
इएह सोच उन भारी सखि हे
झुंड झुंड सखियन सभ अयली
कहथि जसोदा लग जाइ सखि हे
फोड़ि देलनि सिर मटुकी प्रभूजी
फोलि देलनि पट साड़ी सखि हे
कानैत-खीझैत मोहन अयला
कहथि मातु समुझाइ सखि हे
मुरली हम्मर छीनि लेलनि अछि
सभ सखियन मिलि सारी सखि हे
७. सांझ दियऽ सांझ दियऽ - Maithili Lokgeet
सांझ दियऽ सांझ दियऽप्रेम के सुन्दरिया हे
सांझ बीतल जाइए
घरसँ बहार भेली
सुन्दर सोहागिन
लेसि लेल चौमुख दीप हे
सांझ बीतल जाइए
पहिल सांझ दियऽ कालीक आगू
रहती सभ दिन सहाय हे
सांझ बीतल जाइए
दोसर सांझ दियऽ कोबर घर हे
वर कन्याक बढ़त अहिबात हे
सांझ बीतल जाइए
८. सांझ दिअ यशोमति मइया - Maithili Lokgeet
सांझ दिअ यशोमति मइया हे सांझ बीतल जाइएबीति गेल बाबा घर के सांझ हे सांझ बीतल जाइए
पहिल सांझ दिअ घर के गोसाउनि हे सांझ बीतल जाइए
दोसर सांझ संझा माइ के देखाबहुँ हे सांझ बीतल जाइए
तेसर सांझ दिअ दुर्गा भवानी हे सांझ बीतल जाइए
चारिम सांझ कलिका माता के देखाबहुँ हे सांझ बीतल जाइए
घरसँ बहार भेली यशोमती मइया हे सांझ बीतल जाइए
घर-घर लक्ष्मी लेथिन बास हे सांझ बीतल जाइए
जुग-जुग रहु दुलहिन अहिबात हे सांझ बीतल जाइए
९. सांझ पड़ीय गेल - Maithili Lokgeet
सांझ पड़ीय गेल, चान उगिये गेलभय गेल दिन सन राति सखी हे
पाटक गेरूआ सिरमा दय सूतल
भय गेल गहुमन साँप सखि हे
एकहि नगर बसु माधव
मोर लेखे जोजन पचास सखि हे
सांझ पड़ीय गेल चान उगिये गेल
भय गेल दिन सन राति सखि हे
१०. सांझो ने आयल कन्हैया - Maithili Lokgeet
सांझो ने आयल कन्हैया, यशोदा मैयावृन्दावनमे देखू गैयन के संगमे देखू
मुरली बजबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया
जमुनाके तट पर देखू ग्वालिन के संगमे देखू
माखन चोरबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया
यमुनाके तीरे देखू सखियन के संगमे देखू
चीर चोरबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया
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