चलु सखि हिलि-मिलि जनक के आँगन,
दूल्हा बनल श्रीराम हे,
चलु सखि हिलि-मिलि जनक के आँगन,
दूल्हा बनल श्रीराम हे,
द्वि ही किशोर बीच आयला वशिष्ठ गुरु - 2,
एक गोर एक छथि श्याम हे,
चलु सखि हिलि-मिलि जनक के आँगन,
दूल्हा बनल श्रीराम हे
देश-विदेश केर भूप सब आयला सखी - 2,
घूर ताकि गेला निज धाम हे,
जे शिव धनुष छुबैत काल टूटि गेल,
रहि गेल सिया जी के मान हे
चलु सखि हिलि-मिलि जनक के आँगन,
दूल्हा बनल श्रीराम हे
रंग-विरंग केर बाजिगेल साज सखि - 2,
बरसल सुमन आकाश हे,
देहिक वैदिक आहि सखि मिट गेल,
मिट गेल तीनों पाप हे,
चलु सखि हिलि-मिलि जनक के आँगन,
दूल्हा बनल श्रीराम हे।
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