रविवार, 22 सितंबर 2024

पहिरि लाल साड़ी उपारइ खेसारी - लिरिक्स

Pahiri lal sadi uparai khesari lyrics

पहिरि लाल साड़ी उपारइ खेसारी,
बदन गोर छै भूख सं भेल कारी।

साँझ बहुरिया सासुर एली
कोबर बनल आकाशे
दिन मे प्रियतम बोइन ने केलकै
तैं भेल राति उपासे
बसल छै पिया सेहो अनके घरारी ।
बदन गोर छै भूख सं भेल कारी...

काजर बिना नयन अनुरंजित
तेल बिना छौ मांगे
ठोर मे फुफरी रंग न लागइ
दुलहिन दुबरी आंगे
जगत सं बेचारी बनल छै अनारी।
बदन गोर छै भूख सं भेल कारी...

रूप गरीबी  सं थकुचेलइ
तदपि पैर छै भारी
बयस किशोर कोना चली एलय
बहुत लजायलि नारी
पवन जोर सकतइ ने आँचर सम्हारि ।
बदन गोर छै भूख सं भेल कारी...

भोरे उठी क खेत एलइ 
नै जानि कखन घर जेतइ
प्रियतम सेहो मैंट कटइ छै 
के घर चूल्हि जरेतइ
प्रतिपो ने जानय के करतइ पिछारी ।
बदन गोर छै भूख सं भेल कारी...

रचनाकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)

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