परम सुखद शुभ दिन भेल धरनि मगन भेल रे।
ललना रे भादव इजोरिया आठम तिथि राधाके जनम भेल हे॥
धन्य वरसानेक धरती धन्य छथि बृखभानु जी।
प्रेममय बनि गेल व्रज ई भक्ति मुक्ति प्रमाण ई।
जन-जन केर मन मगन गगन भेल परिमल हे।
ललना रे हँसथि निशाकर आई इजोरिया सघन भेल रे॥
कृष्ण पक्षक अष्टमी अयला निशाकर दूरसँ।
शुक्ल पक्षक अष्टमी मे पहुँचला अनुकूल भ।
आइ लुटब हम प्रेम भरल रस कुमुदिनि हे।
ललना रे कृष्णक प्रेम पियूख जगत भरि वाँटव हे॥
कृष्ण मे बनि चन्द्र छथि संयुक्त पूर्ण प्रदीप ई।
ज्योति राधा सँ भेटल अछि बनल गगन महीप ई।
राधा तँ भक्तक उपर अमृत छीटब हे।
ललना रे दिन सीतापति राम, निशि राधा-कृष्ण लूटब हे॥
गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
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