तों नहि बिसरीहें गे माँ,
तों जे बिसरमे तऽ दुनिया मे पड़तै बौआए।
तोरा बेटा के तोरे टा आशा
तोरा बिना छैने ककरो भरोसा।
कोरा सं ने दिहें बइला,
तों जे बिसरमे तऽ दुनिया मे पड़तै बौआए।
केतबो अनठेमे पछोड़ नहि छोड़बउ,
तोरे चरण मे सिनेह अपन जोड़बउ।
बे बुझ मे दिहे बुझा,
तों जे बिसरमे तऽ दुनिया मे पड़तै बौआए।
स्वारथ भरल संसारे इ सगरो,
कियो ने कानब सुनइ छै ककरो।
जाइक ने प्रदीपो मिझा,
तों जे बिसरमे तऽ दुनिया मे पड़तै बौआए।
रचनाकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !