शनिवार, 5 अक्तूबर 2024

हमर विपता अहिं टा बस जानी लिरिक्स - Hamar Vipata Ahin Ta Bas Jani Lyrics

माँ दुर्गे, जगदम्बा, भवानी
हमर विपता अहिं टा बस जानी -2 
हम पूजय छी नित दिन अहिं के - 2
दुख हरियौ ने हे माता रानी
मा दुर्गे, जगदम्बा, भवानी
हमर विपता अहिं टा बस जानी...2

सब भक्तन के विनती सुनय छी,
अहाँ हमरा दिसन ने ताकय छी 
फूल अड़हुल के माला बना कऽ,
हम नित दिन अहाँ के पूजय छी 
किया रुसल छी हमरा सँ जननी,
कोन गलती केलौ हम अज्ञानी 
मा दुर्गे, जगदम्बा, भवानी
हमर विपता अहिं टा बस जानी...

माँ विराजय छी अहाँ कण-कण में,
हम रखने छी अहाँ के मन में 
जे माँगय से सब किछु भेटय छै,
आश पुरबै छी सबके अहाँ छन में 
चन्द्रघण्टा कहि या कात्यायनी,
सब रुपे में छी माँ कल्यालनी 
मा दुर्गे, जगदम्बा, भवानी
हमर विपता अहिं टा बस जानी
हम पूजय छी नित दिन अहिं के 
दुख हरियौ ने हे माता रानी
मा दुर्गे, जगदम्बा, भवानी
हमर विपता अहिं टा बस जानी...।

रचनाकार: प्रभाकर मिश्र 'ढुन्नी'

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