अपना किशोरी जी के टहल बजेबइ,
हे मिथिले में रहबई
हमरा नई चाही चारु धाम,
हे मिथिले में रहबई
साग-पात खोटी-खोटी दिवस बितेबइ,
हे मिथिले में रहबइ
हमरा नई चाही सुख आराम,
हे मिथिले में रहबइ...
जेहि बिधि रखथिन किशोरी, ताही बिधि रहबई,
हे मिथिले में रहबइ,
सिया-सिया रटबई आठों याम,
हे मिथिले में रहबइ...
गीतकार : स्नेहलता
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