बेटी के वियोग हम कोना विधि सहबई,
हम ना करब धिया दान ।
अपन करेजबा के दुधबा से पोसली,
आजु भेल दुलरी विरान ।
जौं हम जनिति एहन दिन देखबई,
हति लिती अपन परान ।
लतिका सनेह अब कहाँ लतरायब,
उजरल स्नेहक बगान ।
© Copyright 2014 - 2022 Mithila Dharohar | मिथिला धरोहर All Right Reserved (सबटा अधिकार सुरक्षित अछि।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !