भाई के दरश लागी, बेकल भरत जी
रने बने कधि बिलाप ।।
केनाक बिसरि गेल भइया निरमोहिया राम
भइया निरमोहिया
चलि गेला बन चुपचाप ।।
केहन कपूत हम भेली भइया केकयी राम० ।।
हमरे चढ़ल सिर पाप ।।
अवध अनाथ लागे, मइया भेली बिधवा राम
मइया भेली बिधवा
पड़िगेल अन्हरी के श्राप ।।
गोड़ लागू पैयाँ परू, माता सिया जानकी राम
माता सिया जानकी
मेटू आब बिरहक ताप ।।
'लतिका सनेह' एहो गाबे समदौनियाँ राम
गाबे समदौनियाँ
एहो थिक भरत बिलाप ।।
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