शनिवार, 6 दिसंबर 2025

चारों दूल्हा के आरती उतारू हे सखी लिरिक्स - Charo Dulha Ke Aarati Utaru He Sakhi Lyrics

चारु दूल्हा के आरती उतारू हे सखी
चितचोरवा के आरती उतारू हे सखी

दुल्हिन श्री मिथिलेश दुलारी
दूल्हा दुलरुआ श्री अवध बिहारी
भरी भरी नैना निहारु हे सखी
चारु दूल्हा के आरती उतारू हे सखी
चित्तचोरवा के आरती उतारू हे सखी 

व्याह विभूषण अंग अंग साजे
मणि मंडप मंगलमय राजे
तन मन धन न्यौछारु हे सखी
चारु दूल्हा के आरती उतारू हे सखी
चित्तचोरवा के आरती उतारू हे सखी



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