शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

गिरि कैलास के स्वर्ण शिखर पर रास रचल त्रिपुरारि लिरिक्स - Giri Kailaas Ke Sawarn Shikhar Lyrics

-:रास:-

गिरि कैलास के स्वर्ण शिखर पर रास रचल त्रिपुरारि,

तैतिस कोटि देव सब बैसल, धन-धन होथि निहारि। 
पुरुष भेष केर मध्य सुशोभित गद्‌गद् शैलकुमारि ।।

विष्णु मृदंग रमापति गाइनि ताल देथि मुखचारि । सुरपति-शारद वीण बजाबथि राग समय अनुहारि ।।

सौंथ फाड़ी मुखचन्द्र सजाओल नयन कयल कजरारि। अंग-अंग सजि-साजि सम्हारल शिव भेला सुन्दर नारि ।। 

सुरसरि धार समिटि घर गेली रूप धयल पनिहारि।
स्नेहलता ताण्डव शिव नाचथि तन-मन विरति बिसारि।।

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