गरदनि सँ लागल गरदनि हो
जनु, सटल गाल सँ गाल
तहिना भारतकेर मानचित्र पर
मिथिला आ बंगाल
दूनुक संगम पर शोभित
अछि संस्कृतिक पण्डाल, कही तेँ..
जय ! जय ! मिथिला ! जय बंगाल ।
जय काली! कलकत्ते बाली
वचन जाय हमर नहि खाली
बंगक काली, दक्षिण काली
मैथिल घर पूजिति भा रहली
मिथिलाकेर बमभोला माड. थि
बंगालक बघछाल । कही तें...
तंत्र-मंत्रकेर सम अधिकारी
समरूप परीक्षण कयलहुँ
सब से बड़का वैभव ज्ञाने
दूनुक दून बुझलहुँ
दू नाव धार लिपि एक
एकहि करुआरि, एकरङ पाल। कही तें...
तें, बिसरी आइ सब हाल
तोड़ि क' सब चिंता, भ्रम-जाल
बनू हे गीत हमर तत्काल
दुहू गरदनिक एक जयमाल
मिथिला भजनियाँकेर हाथ मे
चैतन्यक करताल । कही तें...
बंगाली खाड़िक चलल हवा
मिथिला मे रिमझिम बरसल
हमर माटिकेर गंध-गीत
बंगालक नभपर पसरल
एक पानकेर दू टुकड़ी सँ
अछि दून मुँह लाल। कही तें..
खानपान आ' रहन-सहन मे
बहुतो समता एखनहुँ अछिये
से गछियै वा नहि गछियै
ममता किछु ने किछु तँ अछिये
सुख-दुख मे हम एक रहल छी
साक्षी छथि दिग्पाल। कही तें...
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