● मैथिली ब्राह्मण गीत लिरिक्स ब्राह्मण बाबू यौ
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
पहिने मंगई छी ब्राह्मण
पहिने मंगई छी ब्राह्मण
भाई भतिजवा ब्राह्मण बाबू यौ
उजड़ल नैहर दियौ ने बसाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
पहिने मंगई छी ब्राह्मण
भाई भतिजवा ब्राह्मण बाबू यौ
उजड़ल नैहर दियौ ने बसाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
सिर के सिंदुरवा ब्राह्मण बाबू यौ
कुमर पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
सिर के सिंदुरवा ब्राह्मण बाबू यौ
कुमर पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
गोदी भरी बालक ब्राह्मण बाबू यौ
बाझिन पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
गोदी भरी बालक ब्राह्मण बाबू यौ
बाझिन पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
अन्न धन लक्ष्मी ब्राह्मण बाबू यौ
दरिद्र पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
अन्न धन लक्ष्मी ब्राह्मण बाबू यौ
दरिद्र पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
● यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू लिरिक्स - Yau Aahan Brahman Babu Lyrics
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
चलि भेला गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
चलि भेला गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
चलि भेला गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
कथि के खरौवाँ ब्राह्मण,
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि के खरौवाँ ब्राह्मण,
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि के खरौवाँ ब्राह्मण,
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
सोना के खरौवाँ ब्राह्मण,
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सोना के खरौवाँ ब्राह्मण,
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
घोड़ा चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सोना के खरौवाँ ब्राह्मण,
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
घोड़ा चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
नहाय सोनाय ब्राह्मण,
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
नहाय सोनाय ब्राह्मण,
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
करे लगला सेवक गोहारि, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
नहाय सोनाय ब्राह्मण,
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
करे लगला सेवक गोहारि, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सदाय राखब रक्षापाल, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सदाय राखब रक्षापाल, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
● इनती करै छी हे ब्राह्मण लिरिक्स - विद्यापति गीत
इनती करै छी हे ब्राह्मण मिनती करै छी
मिनती करै छी हे ब्राह्मण
कल जोरि करै छी परिणाम
धरम के दुअरिया हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ
कल जोरि करै छी परिणाम
अहर पंछ बीतलै हो ब्राह्मण
पहर पंथ बीतलै
ब्राह्मण छथिन्ह देबता
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
धरम के दुअरिया
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
रोकहि छी धरम के दुआरि
गाढ़ बिपत्ति परलै हो ब्राह्मण
बानहि घुमड लगतइ
कल जोरि करै छी परिणाम
अबला जानि खेलई छी हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ कल जोरी करै छी परिणाम
हँसइ खेलाबह हो ब्राह्मण, खैलालै चौपाड़ि
कल जोरि करै छी परिणाम
सुमिरन केलमै हो दाता दीनानाथ
मिनती करै छी हे ब्राह्मण
कल जोरि करै छी परिणाम
धरम के दुअरिया हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ
कल जोरि करै छी परिणाम
अहर पंछ बीतलै हो ब्राह्मण
पहर पंथ बीतलै
ब्राह्मण छथिन्ह देबता
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
धरम के दुअरिया
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
रोकहि छी धरम के दुआरि
गाढ़ बिपत्ति परलै हो ब्राह्मण
बानहि घुमड लगतइ
कल जोरि करै छी परिणाम
अबला जानि खेलई छी हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ कल जोरी करै छी परिणाम
हँसइ खेलाबह हो ब्राह्मण, खैलालै चौपाड़ि
कल जोरि करै छी परिणाम
सुमिरन केलमै हो दाता दीनानाथ
एहो पढ़ब :-
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