सोमवार, 30 अगस्त 2021

मैथिली रास गीत - मैथिली कृष्ण आरती गीत - कृष्णजन्माष्टमी विशेष

◆ वंशी रचाये ओहि ठाम - रास मैथिली लोकगीत

वंशी रचाये ओहि ठाम श्याम जहाँ रास रचे

मधुर मृदंग धुम किट-किट बाजे, वंशी करय अनोर

नाचथि सखि संग करथि कुतूहल, चहुँ दिस कुहुकय मोर
केओ सखि पुहुप माल पहिराबथि, चानन आंग लगाय
केओ सखि कर धय चमर डोलाबथि, नयना रहय जुड़ाय
जगमगाय कत दामिनि यामिनि, सखिगण कंठक हार
साओन घटा श्याम तन सुन्दर, कुंजहिं करथि बिहार
इन्द्र सहित इन्द्रासन डोलल, पातालहूँ नहि चैन
शिवसनकादिक ध्यान छुटल जँ, पलको ने लागै नैन
साहेबराम रास वृन्दावन, तोहे छाड़ि भाव न आन
जहाँ बसथि त्रिभुवनपति ठाकुर, लागल तहि ठाँ ध्यान


◆ मुरली किछु किये हो श्याम - रास मैथिली लोकगीत

मुरली किछु किये हो श्याम मोरा ज्ञान हरे हो
वृन्दावन केर कुंज गलिनमे, श्याम चराबथि गाय
मुरली टेरि फिरथि यमुना तट, माहि गृह रहलो ने जाय
विरह उठल मुरली धुनि सुनि-सुनि, चिथ मोर चंचल डोल
कंठ सुखाय दरद होय हियमे, मुखहुँ न आबय बोल
काहि कहब किछु भाव न सखि हे, टोना कयल गोपाल
घर दारुण ननदो गरिआबथि, प्रीति लागल नन्दलाल
साहेबराम रास वृन्दावन, तोहें छाड़ि भाव ने आन
जहाँ बसथि त्रिभुवनपति ठाकुर, लागल तहि ठाँ ध्यान


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◆ चलह सखी सुखधाम श्याम - रास मैथिली लोकगीत

चलह सखी सुखधाम श्याम जँ राम रचे
पग-पग चल निहारि कय, गज गामिनि ब्रजनारि
श्याम-प्रीति केर कारणेँ, सुतपति गृह देल छारि
आरे कोकिल मोर घोर घन टेरय, शब्द जाय बड़ि दूरि
कुसुमित कुंज सघन घन अनुपम, निरखि रहय शशि चूरि
शेष महेश निगम चतुरानन, सुर-नर-मुनि करु ध्यान
चल सखि रास करय वृन्दावन, गोप बधू तजि मान
गोपी गोप मगन भय नाचथि, केओ ने रहय तँह थीर
पशु-पक्षी सभ मुदित कुंज के, जमुनाक अंटकल नी
वृन्दावन केर कुंज गलीमे, श्याम चराबथि गाय
सुकवि दास श्यामक दर्शनसँ, हर्ष न हृदय समाय


◆ लीजे-लीजे गोपाल प्यारे - आरती गीत

लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, जल भरि लाबथि
क्यो सखि चरण पखारथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, माखन-मिश्री लाबथि
क्यो सखि भोग लगाबथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती
क्यो सखि आबथि, धूप-दीप लाबथि
क्यो सखि आरती उतारथि
लीजे-लीजे गोपाल प्यारे आरती

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