सोमवार, 14 जून 2021

सांझ गीत लिरिक्स - मैथिली सांझ लोकगीत | Sanjh Geet Lyrics Maithili

फोटो - चंद्रलि मुखजी
■ सांझे काली घर दीप लेसि लीअ हे

सांझे काली घर दीप लेसि लीअ हे
गोर लागि लीअ हे
कथी केर दीप कथीए सूत-बाती
कथी केर तेल जरय सारी राती
सोना केर दीप पाटक सूत-बाती
सरिसो केर तेल जरय सारी राती
जरय लागल दीप झमकऽ लागल बाती
खेलय लगली संझा मइया चारू पहर राती
साँझे काली घर दीप लेसि लीअ हे
गोर लागि लीअ हे


■ सांझ दियऽ सांझ दिय

सांझ दियऽ सांझ दियऽ
प्रेम के सुन्दरिया हे
सांझ बीतल जाइए
घरसँ बहार भेली
सुन्दर सोहागिन
लेसि लेल चौमुख दीप हे
सांझ बीतल जाइए
पहिल सांझ दियऽ कालीक आगू
रहती सभ दिन सहाय हे
सांझ बीतल जाइए
दोसर सांझ दियऽ कोबर घर हे
वर कन्याक बढ़त अहिबात हे
सांझ बीतल जाइए


■ सांझ दिअ यशोमति मइया हे

सांझ दिअ यशोमति मइया हे सांझ बीतल जाइए
बीति गेल बाबा घर के सांझ हे सांझ बीतल जाइए
पहिल सांझ दिअ घर के गोसाउनि हे सांझ बीतल जाइए
दोसर सांझ संझा माइ के देखाबहुँ हे सांझ बीतल जाइए
तेसर सांझ दिअ दुर्गा भवानी हे सांझ बीतल जाइए
चारिम सांझ कलिका माता के देखाबहुँ हे सांझ बीतल जाइए
घरसँ बहार भेली यशोमती मइया हे सांझ बीतल जाइए
घर-घर लक्ष्मी लेथिन बास हे सांझ बीतल जाइए
जुग-जुग रहु दुलहिन अहिबात हे सांझ बीतल जाइए


■ मुरलीधारी यौ सांझ पड़ैते घर आयब

मुरलीधारी यौ सांझ पड़ैते घर आयब
कथी केर दीप कथी सूत-बाती
मूरलीधारी यौ कथी केर तेल जरायब
सोना केर दीप मुरली सूत-बाती
मुरलीधारी यौ सरिसो केर तेल जरायब
जरय लागल दीपधारी झमकऽ लागल बाती
मुरलीधारि यौ खेलऽ लगली संझा सारी राती


■ सांझ दियऽ सांझ दियऽ जसुमति मइया

सांझ दियऽ सांझ दियऽ जसुमति मइया
बीति गेल पहिल सांझ
कथी केर दीप कथीक सूत-बाती
कथीक तेल जरायब सांझ
सोनाकेँ दीप पाटक सूत-बाती
सरिसो केर तेल जरायब सांझ
जरय लागल दीप झमकय लागल बाती
खेलय लगली संझा मइया सारी राती


■ सांझ भेल नहि अयला मुरारी

सांझ भेल नहि अयला मुरारी
कहाँ अँटकल गिरधारी सखि हे
घर-घर फिरथि मातु जशोदा
सभसँ करथि पुछारी सखि हे
कारण कोन नाथ नहि अयला
इएह सोच उन भारी सखि हे
झुंड झुंड सखियन सभ अयली
कहथि जसोदा लग जाइ सखि हे
फोड़ि देलनि सिर मटुकी प्रभूजी
फोलि देलनि पट साड़ी सखि हे
कानैत-खीझैत मोहन अयला
कहथि मातु समुझाइ सखि हे
मुरली हम्मर छीनि लेलनि अछि
सभ सखियन मिलि सारी सखि हे


■ सांझ पड़ीय गेल

सांझ पड़ीय गेल, चान उगिये गेल
भय गेल दिन सन राति सखी हे
पाटक गेरूआ सिरमा दय सूतल
भय गेल गहुमन साँप सखि हे
एकहि नगर बसु माधव
मोर लेखे जोजन पचास सखि हे
सांझ पड़ीय गेल चान उगिये गेल
भय गेल दिन सन राति सखि हे


■ सांझो ने आयल कन्हैया

सांझो ने आयल कन्हैया, यशोदा मैया
वृन्दावनमे देखू गैयन के संगमे देखू
मुरली बजबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया
जमुनाके तट पर देखू ग्वालिन के संगमे देखू
माखन चोरबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया
यमुनाके तीरे देखू सखियन के संगमे देखू
चीर चोरबै छथि कन्हैया, यशोदा मैया


■ सांझ भयो घर दियरा जरी रे

सांझ भयो घर दियरा जरी रे
दियरा के चकमक हीरा जरी रे
कथी के दीप कथीक सूत-बाती
कथी के तेल जरय सारी राती
सोना के दीप पाटहि सूत-बाती
सरिसो के तेल जरय सारी राती
जरय लागल दीप झमकऽ लागल बाती
खेलऽ लगली संझा मइया चारूपहर राती

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