जाहि निकुंज वन हमरो के देलिअइ,
ताहि वन मायो ने बाप
सुन भवन केने जाइ छी हे बेटी,
अयोध्यामे बाजत बधाइ
हरियर गोबर आंगन निपाओल,
गजमोती अरिपन देल
अंगनामे बुलि-बुलि आमा जहे कानथि,
जनकजी भेला अचेत
नगरक सखिया बड़ा रे निरमोहिया,
धीया देल डोलिया चढ़ाय
भनहि विद्यापति सुनू सुनयना,
सभ बेटी सासुर जाय
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