गुरुवार, 29 जून 2017

जाहि निकुंज वन हमरो के देलिअइ लिरिक्स - समदाउन लोकगीत Jahi nikunj van hamaro ke deliyai lyrics

जाहि निकुंज वन हमरो के देलिअइ, 
ताहि वन मायो ने बाप
सुन भवन केने जाइ छी हे बेटी, 
अयोध्यामे बाजत बधाइ
हरियर गोबर आंगन निपाओल, 
गजमोती अरिपन देल
अंगनामे बुलि-बुलि आमा जहे कानथि, 
जनकजी भेला अचेत
नगरक सखिया बड़ा रे निरमोहिया, 
धीया देल डोलिया चढ़ाय
भनहि विद्यापति सुनू सुनयना, 
सभ बेटी सासुर जाय

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