बुधवार, 20 दिसंबर 2017

जखन सुनयना डोली दिस ताकथि लिरिक्स - समदाउन लोकगीत

जखन सुनयना डोली दिस ताकथि, 
सीता चली भेली कनैत अधीर
भरलो आंगन जतेक नर-नारी, 
ककरहु हृदय नहि थीर
चहुँदिस रोबथि सखी रे सहेलिया, 
आमा के झहरनि नयन मोती नीर
किए जे बेटी जानकी पोसल, 
उड़ि भेली देश पराय
भनहि विद्यापति सुनू हे सुनएना, 
इहो थिक नगर बेबहार

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