सोमवार, 30 मई 2022

मिथिला रामायण के रचयिता महाकवि पंडित लाल दास परिचय - Mahakavi Pandit Lal Das

महाकवि पंडित लाल दास केर जन्म मधु‍बनी जिलाक खड़ौआ गांव ( Kharaua Village, Madhubani ) मे वर्ष 1856 मे भेल छलनी। हिनकर दादा जल्पादत्त दास राज दरभंगा मे दीवान छलथि आ बाबूजी बचकन लाल दास विचारक छलथि। पंडित लाल दास जी मुख्य रूप सं चाइर टा भाषा फारसी, संस्कृत, हिंदी आ मैथिली के विद्वान छलथि। एहि भाषा मे हिनकर लिखल कतेको कविता छनि। दास जी उर्दू आ अंग्रेजी के सेहो नीक जानकार छलथि।

पहिले हिनकर नाम चूड़ामणि लाल दास छलनी, जे बाद मे लाल दास भऽ गेलनि। भैयादास जी सं हिंदी आ मैथिलीक शिक्षा ग्रहण कऽ साते सालक उमर मे हिंदी आ मैथिलि के नीक नॉलेज भऽ गेल छलनी। ओहि समय फारसी हायर एजुकेशन भाषा छल, तऽ हिनकर पिता जी फारसी के तालीम दिएबाक फैसला केलथि। एकटा मौलवी सं चार साल मे लाल दास फारसी मे निपुण भऽ गेलाह। 

लाल दास के संस्कृत पढ़ेने छलनी बच्चा झा। वाल्मीकि रामायण आ दुर्गा शप्तसती एहन तमाम किताब पढ़लथि। एहि बीच जनकपुर भृमणक करी मे लाल दास के सीता पर आधारित रामायण लिखबाक विचार एलनी आ सीता सं जुरल जानकारी एकत्रित करय में लागि गेलाह। जनकपुरक साधु संग भारत-भ्रमण सेहो केलनि।


-: जानकी रामायण किछ चौपाई :-

"सीता त्रिगुण प्रकृति प्रधान, कारण सृष्टिक सैह निदान
स्वर्ग-तपक से सिद्धि स्थान, महती विद्या विद्या ज्ञान

ऋद्धि सिद्धि सभ गुणमयिवेश, निराकार पुनि गुणक न लेश
सकल सृष्टि में व्यापित रहथि, ज्ञानी तनिकहि चिन्मयि न हथि

कुण्डलिनी सृष्टिक आधार, जगत चराचर तनिक विहार
योगी जन तनिकहि धय ध्यान, होथि सुखीलहि तत्त्व ज्ञान

जखन-जखन हो धर्म्मक ग्लानि, पाप प्रचार शुभक हो हानि
तखन-तखन शक्तिक अवतार, दुष्ट निहत हो बारम्बार

प्रकृति पुरुष लक्ष्मी हरि जैह, सीता राम रूप थिक सैह
राम जानकी ज्योति स्वरूप, भेद रहित से युगल अनूप

राम रूप सीता सिय राम, कहल अभेद वेद सुखधान
हिनक तत्त्व बूझथि बुध जैह, काल ग्रास सौं छूटथि सैह

यद्यपि सीताराम अचिन्त्य, थिकथि चिन्त्य पुनि से दुहू नित्य
सवहिक साक्षी अन्तर जान, सैह लोक कर्त्ता गुणवान

सकल चराचर भरणो करथि, सैह प्राण पुनि हरणो करथि
योगी जन जे पावथि सिद्धि, शक्ति जानकी योगे वृद्धि"

14 सालक उम्र मे लाल दास के बियाह भऽ गेलनि। हिनकर पत्नीके नाम सुकन्या छलनी। जिम्मेदारी एलनी तऽ दरभंगा महाराज के एतय मुहाफीज दफ्तर मे नौकरी कऽ लेलनि। लालदास जी के प्रतिभा सं खुश दरभंगा महाराज हुनका एकटा इज्जतदार पेशकार कऽ पद देलथि। जहन महराज रामेश्वर सिंह भागलपुर मे मैजिस्ट्रेट बनलैथ, तऽ लाल दास के सेहो संग ल अनलखिन। एतय लालदास अंग्रेज अधिकारी सं अंग्रेजी सेहो सिखलैथ। 

राजनगर मे महाराज संगे रहबाक दौरान अपन पहिल रचना ''मिथिला महात्म्य'' लिखैत समय हिनकर उम्र 22 साल छलनी। हिंदी के इ रचना सीता केर शक्ति पर लिखल गेल छल। एकर उपरांत लाल दास जी मैथिली मे ''रामेश्वर चरित मिथिला रामायण'' लिखलैथ। संस्कृत मे "चंडीचरित" आ फारसी मे काव्य ''तश्दीद'' लिखलैथ। ''तश्दीद मे वेद आ तंत्रक उल्लेख अछि। हिनकर अंतिम रचना श्रीमद्भभगवत गीता (मैथिली) अछि।  महाकवि  अठारह ग्रंथ-रत्नं के रचना केने छथि।

-: पंडित लाल दास की रचना :-
1. जानकी रामायण (तीन खंडों में) - मैथिली काव्य
2.मिथिला महात्मीय - हिन्दी गद्य
3. चण्डी चरित्र - संस्कृत पद्य
4. तश्दीद - फारसी काव्य
5.स्त्री धर्म शिक्षा (चार खंडों में) - मैथिली गद्य
6. महेश्वणर विनोद वा गौरी शम्भू् विनोद - मैथिली काव्यल
7.गणेश खण्डा (दो भागों में) - मैथिली काव्य:
8.सुन्दवर काण्ड रामायण - मैथिली काव्य
9.हरिताली व्रत कथा - मैथिली पद्य
10.वैधव्यी-भंजिनी (सोमवारी व्रत कथा) - मैथिली पद्य
11.बाल काण्डा - मैथिली काव्य
12.श्रीमान् मिथिलेशक विरुदावली - मैथिली काव्य
13.रमेश्वनर चरित मिथिला रामायण - (समग्र अष्ट काण्डय)
14.  ब्रह्मोहत्तर खण्डि एवं श्री सत्यानारायण कथा टीका - मैथिली गद्य
15.सावित्री सत्यतवान नाटक - मैथिली
16.श्रीमद्भगवतगीता - मैथिली पद्यानुवाद
17.सप्त्शती दुर्गा टीका- मैथिली गद्य
18. श्री गंगा माहात्मिय - मैथिली काव्य

इहो पढ़ब :-

लाल दास जी एहि दौरान महाराज संगे कामख्या आ बंगाल के यात्रा केलथि। कामख्या मे तंत्र-विद्या के बारे मे जानलैथ। तंत्र विद्या मे पारंगत हेबाक बाद अधिकतर पूजा समय मे लागल रहैत छलैथ। हिनकर किताबक कवर और पांडुलिपि के पन्नाक बीच मिथिला चित्रकारी भेटैत अछि। लालदास जहन 32 सालक छलैथ, तहने हिनकर पिता जी के देहांत भऽ गेलनि। 
लाल दास के उद्भट विद्वता आ सौम्यता देखी दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह हुनका 'धौत सम्मान' सं सम्मानित केलकनी। आ ''पंडित'' उपाधि देलथि। एकर बाद सं हुनकर मान-सम्मान बढ़ैते गेलनि। राजकवि, महाकवि एहन सम्मान भेटैत गेलनि। अपन आखिरी समय धरि ओ राज दरभंगा मे कवि आ पंडित के रूप मे काज करैत रहलैथ।

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