गुरुवार, 25 अक्तूबर 2018

ओठंगर काल के गीत - मैथिली लोकगीत

चारू बरबासँ धनमा कुटाएब - Maithili Lokgeet

चारू बरबासँ धनमा कुटाएब हे सखि
कथी केर उखरि कथीक मुसर
आठ चोट गनि कुटब सम्हारि
आइ धनमा कुटायब चारू बरबासँ
बेल के उखरि बबुर के समाठ
आठ चोट गनि कूटल हे
एको चाउर नहि छूटल हे

चितचोरबा आजु बन्हएलनि हे - Maithili Lokgeet

चितचोरबा आजु बन्हएलनि हे
सान गुमान देखओलनि हे
बेलक उखरि, बबूर केँ समाठ
घूमि-घूमि डोरी कसलनि हे
चितचोरबा आजू बन्हएलनि हे
ओहि चितचोरबा के लाले-लाल धोतिया
ओहि चितचोरबा के लाले-लाल पगिया
सान गुमान देखओलनि हे
नउआ आबि कसि डोरिसँ बान्हल
कंगन बन्हाओल आम पातसँ
आठ जन मिलि कूटल ओठंगर
कुटि एको चाउर नहि छुटल हे

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एला चारू भइया अबधबा स - Maithili Lokgeet

एला चारू भइया अबधबा सऽ
आइ जनकपुर बाजे बधइया हे
नाउनि नगर हकार पठाओल
सखि मिलि आए अंगनमामे
सखि एला चारू भइया अबधबा सऽ
कथी के उखरी कथी के मूसर
कोने डोरी बन्हबनि दुलहबाके
सखि एला चारू भइया अबधबा सऽ
सोना के उखरि रूपे के मूसर
रेशम डोरी बन्हबनि दुलहा के
सखि एला चारू भइया अबधबा सऽ
पाँच ब्राह्मण वेद पढ़ाओल
आठ चोट चाउरो ने बनल दुलहबा सऽ
सखि एला चारू भइया अबधबा सऽ

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