गुरुवार, 12 सितंबर 2019

Mauhak Geet Lyrics | महुअक काल के गीत - मैथिली महुअक गीत

● दुलहा नहु नहु बाजू ने - लिरिक्स

दुलहा नहु नहु बाजू ने, रूसल छी किए

आगा पाछा सारि सरहोजि, बीचमे विधिकरी
सोझां मे राखल अछि, महुअक केर दुइ थारी
दुलहा कनी-कनी खइयौने, रूसल छी किए
दूधक दाम सहित जोड़िकऽ, माय नेने छथि टाका
आब की मांगि रहल छी, की सिखा देने छथि काका
कनी हमरो दिस ताकू ने, रूसल छी किए
माथ लगैए चांेचा-खोता, मुँह लगैए टाड़ी
हमर कनियाँ अछि टुनमुनियां, देब आरो गारी
झट दए मूहो फोलू, रूसल छी किए


● महुअक रान्हल अछि भरि थार - लिरिक्स

महुअक रान्हल अछि भरि थार

चारू कात लागल अछि सचार
रामजी महुअक करियौ, सीता संग जनकपुर मे
सखी बदल करै छी धार
सीता जीतथि रामक हार
राम जी महुअक करियौ, सीता संग जनकपुर मे
क्यो सखि मंगल गाउ
क्यो सखि बेनियां डोलाउ
रामजी महुअक करियौ सीता संग जनकपुर मे



● खीर परोसल थाली दुलहा जल्दी  - लिरिक्स

खीर परोसल थाली दुलहा जल्दी करियौ खाली यौ

माय अहाँ के तमोलिया संगे कचरय पान सुपारी यौ
बहिन अहाँ के सोनरा संगे पहिरै कानक बाली यौ
काकी अहाँ के मड़बड़िया संगे पहिरै साड़ी यौ
पीसी अहाँक पंजबिया संगे घूमथि गाड़ी गाड़ी यौ



● आउ-आउ साजन आजु मोर अंगना - लिरिक्स

आउ-आउ साजन आजु मोर अंगना

खीर परोसल धार, भोजन कऽ लिअ ना
सासु जे ठाढ़ छथि, औंठी नेने हाथ छथि
उठि ने सकब अहां, भोजन कऽ लिअ ना
ससुर जे ठाढ़ छथि, साइकिल नेने हाथ अछि
उठि ने सकब अहां, भोजन कऽ लिअ ना

मानु मानु ओझाजी - Maithili Lokgeet

मानु मानु ओझाजी हमरो के बात यो
कोजगरे मे विदा कऽ देब, घड़ी साइकिल साथ यो
धान नहि उपजल झाजी, रबी के ने आस यो
दुइ चारि बेटी झाजी, भेलहुँ लचार यो
गछऽ काल मे गछि लेलहुँ, देबे काल ने भास यो
कोजगरे मे विदा कऽ देब, घड़ी साइकिल साथ यो
छोटकी जे सरि झाजी, अहीं के दान यो

बिनु अर्थक मनोरथ - Maithili Lokgeet

बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
ओ जे दरभंगा बजार
घड़ी भेटय हजार
बिनु टाका के घड़ी बेसाहबै कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
ओ जे मधुबनी बजार
साइकिल भेटय हजार
बिनु टाका के साइकिल बेसाहबै कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
ओ जे समस्तीपुर बजार
सूट बूट भेटय हजार
बिनु टाका के ओ सब बैसाहबे कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
कनक धार खीर पौरल, हुलसि हुलसि मधु ढारल हे
गौरी सऽ थार बदल करू बर सऽ परसि मांगू हे
विधिकरी बड़ होशियार झट दए आंचर पसारल हे
लगाओल लौंग अड़ांची दए पान से वर के खुआओल हे
बर बड़ा होशियार मुठियहि पान दबाओल हे
भनहि विद्यापति गाओल उचित बर गौरी पाओल हे

नगर मे पड़ल हकार - Maithili Lokgeet

नगर मे पड़ल हकार पुकार जनक ऋषिके
चलू सखि देखन जाहु नाथ रघुपति जी के
मंडिल निपब आजु पिठारक अरिपन
बैसलि जानकी साथ नाथ रघुपति जी के
खोआ दूध मिश्री दय डालल
भोजन करू शिव आज लाज नहि मानिय
भनहि विद्यापित गाओल फल पाओल
धन गौरी के भाग सुन्दर बर पाओल

थारक भात सेरायल - Maithili Lokgeet

थारक भात सेरायल वर रूसल
गौरी गेली उठाबऽ करहु हर भोजन
आँख गुरड़ि वर ताकल गौरी के डांटल
आनु गऽ आंक धतुर करब हम भोजन
भनहि विद्यापति गाओल फल पाओल
धन गौरी के भाग, बताह बड़ पाओल



महुअक करऽ वर चललाह - Maithili Lokgeet

महुअक करऽ वर चललाह, वर चललाह हे
दुनू दिस अरिपन जोड़ि, कन्या वर बैसाओल
खीरियो ने खाइ छथि सुन्दर वर, खिर केँटारय
कहियनु गऽ हे ससुर के, खीरियो ने खाइ छथि हे
खीर खाउ-खीड़ खाउ, सुन्दर वर हे महुअक करू हे
अँउठी जे देबनि गढ़ाय, सुन्दर वर करू महुअक हे
सासु ससुर के मनाओल हे, मोहर तोरि गढ़ाएब
ननुआ जमाए हे
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल
धन गौरी केर भाग, सुन्दर वर पाओल

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