दुलहा नहु नहु बाजू ने - Maithili Lokgeet
दुलहा नहु नहु बाजू ने, रूसल छी किएआगा पाछा सारि सरहोजि, बीचमे विधिकरी
सोझां मे राखल अछि, महुअक केर दुइ थारी
दुलहा कनी-कनी खइयौने, रूसल छी किए
दूधक दाम सहित जोड़िकऽ, माय नेने छथि टाका
आब की मांगि रहल छी, की सिखा देने छथि काका
कनी हमरो दिस ताकू ने, रूसल छी किए
माथ लगैए चांेचा-खोता, मुँह लगैए टाड़ी
हमर कनियाँ अछि टुनमुनियां, देब आरो गारी
झट दए मूहो फोलू, रूसल छी किए
महुअक रान्हल अछि - Maithili Lokgeet
महुअक रान्हल अछि भरि थारचारू कात लागल अछि सचार
रामजी महुअक करियौ, सीता संग जनकपुर मे
सखी बदल करै छी धार
सीता जीतथि रामक हार
राम जी महुअक करियौ, सीता संग जनकपुर मे
क्यो सखि मंगल गाउ
क्यो सखि बेनियां डोलाउ
रामजी महुअक करियौ सीता संग जनकपुर मे
खीर परोसल थाली दुलहा - Maithili Lokgeet
खीर परोसल थाली दुलहा जल्दी करियौ खाली यौमाय अहाँ के तमोलिया संगे कचरय पान सुपारी यौ
बहिन अहाँ के सोनरा संगे पहिरै कानक बाली यौ
काकी अहाँ के मड़बड़िया संगे पहिरै साड़ी यौ
पीसी अहाँक पंजबिया संगे घूमथि गाड़ी गाड़ी यौ
आउ-आउ साजन - Maithili Lokgeet
आउ-आउ साजन आजु मोर अंगनाखीर परोसल धार, भोजन कऽ लिअ ना
सासु जे ठाढ़ छथि, औंठी नेने हाथ छथि
उठि ने सकब अहां, भोजन कऽ लिअ ना
ससुर जे ठाढ़ छथि, साइकिल नेने हाथ अछि
उठि ने सकब अहां, भोजन कऽ लिअ ना
मानु मानु ओझाजी - Maithili Lokgeet
मानु मानु ओझाजी हमरो के बात योकोजगरे मे विदा कऽ देब, घड़ी साइकिल साथ यो
धान नहि उपजल झाजी, रबी के ने आस यो
दुइ चारि बेटी झाजी, भेलहुँ लचार यो
गछऽ काल मे गछि लेलहुँ, देबे काल ने भास यो
कोजगरे मे विदा कऽ देब, घड़ी साइकिल साथ यो
छोटकी जे सरि झाजी, अहीं के दान यो
बिनु अर्थक मनोरथ - Maithili Lokgeet
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोनाओ जे दरभंगा बजार
घड़ी भेटय हजार
बिनु टाका के घड़ी बेसाहबै कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
ओ जे मधुबनी बजार
साइकिल भेटय हजार
बिनु टाका के साइकिल बेसाहबै कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
ओ जे समस्तीपुर बजार
सूट बूट भेटय हजार
बिनु टाका के ओ सब बैसाहबे कोना
बिनु अर्थक मनोरथ पुरयबै कोना
कनक धार खीर पौरल, हुलसि हुलसि मधु ढारल हे
गौरी सऽ थार बदल करू बर सऽ परसि मांगू हे
विधिकरी बड़ होशियार झट दए आंचर पसारल हे
लगाओल लौंग अड़ांची दए पान से वर के खुआओल हे
बर बड़ा होशियार मुठियहि पान दबाओल हे
भनहि विद्यापति गाओल उचित बर गौरी पाओल हे
नगर मे पड़ल हकार - Maithili Lokgeet
नगर मे पड़ल हकार पुकार जनक ऋषिकेचलू सखि देखन जाहु नाथ रघुपति जी के
मंडिल निपब आजु पिठारक अरिपन
बैसलि जानकी साथ नाथ रघुपति जी के
खोआ दूध मिश्री दय डालल
भोजन करू शिव आज लाज नहि मानिय
भनहि विद्यापित गाओल फल पाओल
धन गौरी के भाग सुन्दर बर पाओल
थारक भात सेरायल - Maithili Lokgeet
थारक भात सेरायल वर रूसलगौरी गेली उठाबऽ करहु हर भोजन
आँख गुरड़ि वर ताकल गौरी के डांटल
आनु गऽ आंक धतुर करब हम भोजन
भनहि विद्यापति गाओल फल पाओल
धन गौरी के भाग, बताह बड़ पाओल
महुअक करऽ वर चललाह - Maithili Lokgeet
महुअक करऽ वर चललाह, वर चललाह हेदुनू दिस अरिपन जोड़ि, कन्या वर बैसाओल
खीरियो ने खाइ छथि सुन्दर वर, खिर केँटारय
कहियनु गऽ हे ससुर के, खीरियो ने खाइ छथि हे
खीर खाउ-खीड़ खाउ, सुन्दर वर हे महुअक करू हे
अँउठी जे देबनि गढ़ाय, सुन्दर वर करू महुअक हे
सासु ससुर के मनाओल हे, मोहर तोरि गढ़ाएब
ननुआ जमाए हे
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल
धन गौरी केर भाग, सुन्दर वर पाओल
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