शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

खोंइछ झारबा काल के गीत - दुरांगमन लोकगीत

आनू गऽ सोना के थारी - खोइछ गीत लिरिक्स

आनू गऽ सोना के थारी
झारू गऽ खोंइछ हे
खोंइछा मे भेटत आइ
मोहर पचीस हे
भौजी के माय-बाप
परम दरिद्र हे
खोंइछा मे आयल छनि
हरदि-दूभि धान हे
लाजहिं ठाढ़ छथि
बड़की बहीन हे
भउजो के खोंइछा
हरदि दूभि धान हे
चुप रहू चुप रहू छोटकी बहीन हे
हम पुराय देब तोहरो मोन आस हे

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