सुतल छलियै बाबा के भवनवा, बाबा के भवनवा
अचके में आयल कहार
लय दय निकसल बिजुबन बैसल,
बिजुबन बैसल
जंहा अपन नही कोई
चारि कहरिया, चारि कहरिया
पांचम लोकनियां, पांचम लोकनियां
संगहि सहोदर भाई
दूरही छूटल असहर-बसहर,
असहर-बसहर
दूर छूटल परिवार
कोहबर छूटल, संग के सहेली सब,
संग के सहेली सब
राम लेलन डोलिया चढ़ाय
बिना माँ के, बिना माँ के,
धिया केना रहथिन, धिया केना रहथिन
छने-छने उठथिन चेहाय
सुतल छलियै बाबा के भवनवा,
बाबा के भवनवा
अचके में आयल कहार
ई लोकगीत के रचनाकार के नाम पता करु। धन्यवाद
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