बुधवार, 22 मई 2024

परल छी बिपैत में मैया कियो ने सहारा लिरिक्स - Paral Chhi Bipait Me Maiya Lyrics

परल छी बिपैत में मैया कियो ने सहारा
परल छी बिपैत में मैया कियो ने सहारा
हेतई कोना के जननी गरीबक गुजारा
हेतई कोना के जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया कियो ने सहार -2
हेतई कोना का जननी गरीबक गुजारा -2
परल छी बिपैत में मैया

पसरल अकाले माता घेरने अदिनता
पसरल अकाले माता घेरने अदिनता
कोन कसूर छी केने बिधाते टा जनता
बिधाते टा जनता
भासल जीवनक नैया लगाबू किनारा
हेतई कोना के जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया

फूल बेलपातो नै सूझै दुखक अनहार में
फूल बेलपातो नै सूझै दुखक अनहार में
आहाँ छोइर ककरा कहबई एहि संसार में
एहि संसार में
बाट ताकी काले बैसल आहीं टा दुआरे
हेतई कोना के जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया

एकचारी आशक तोरलक अन्हर बिहाईर माँ
एकचारी आशक तोरलक अन्हर बिहाईर माँ
करुणा के सागर बुइझ क करी हम गोहाइर माँ
करी हम गोहाइर माँ
हुकरई ये उज्ज्वल पइढ़क दुखक पहारा
हेतई कोना का जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया
हेतई कोना का जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया कियो ने सहारा
हेतई कोना के जननी गरीबक गुजारा
परल छी बिपैत में मैया

रविवार, 19 मई 2024

मिथिला पंचांग 2024-25, Maithili Panchang 2024-2025

Mithila Panchang 2024-2025

२५ जुलाई - मधुश्रावणी व्रता आरम्भ
२५ जुलाई - मौनापञ्चमी

५ अगस्त - दोलोत्सवा आरम्भ
७ अगस्त - मधुश्रावणी व्रत समाप्ति
६ अगस्त - नागपञ्चमी
१८ अगस्ल - भाद्री रवि व्रत आरम्भ
१६ अगस्त - रक्षाबन्धन, संस्कृत दिवस
१६ अगस्त - याज्ञवल्क्य जयन्ती
२६ अगस्त - श्रीकृष्ण जयन्ती व्रत
२७ अगस्त - कृष्णाष्टमी व्रत

२ सितम्बर - कुशीअमावस्या, 
६ सितम्बर - हरितालिका व्रत (तीज)
६ सितम्बर - चौठचन्द्र पूजा
७ सितम्बर - गणेशपूजा
१५ सितम्बर - भाद्रीरवि व्रत समाप्ति
१५ सितम्बर - इन्द्रपूजा आरम्भ, विश्वकर्मा पूजा
१७ सितम्बर - अनन्त पूजन
१८ सितम्बर - अगस्त्यार्घदानं
१८ सितम्बर - महालयारंभ, पितृपक्षा आरम्भ
२४ सितम्बर - जितिया व्रत
२६ सितम्बर - मातृनवमी 
३० सितम्बर - गजछायायोग


२ अक्टूबर - महालया समाप्ति, पितृपक्षा समाप्ति
३ अक्टूबर - शारदीय नवरात्रा आरम्भ
६ अक्टूबर - विल्वाभिमन्त्रण
१० अक्टूबर - नवपत्रिका प्रवेश, निशा पूजा 
११ अक्टूबर - महाष्टमी, महानवमी व्रत
१२ अक्टूबर - विजयादशमी
१६ अक्टूबर - कौमुदी, कोजागरा
१७ अक्टूबर - सिमरिया कल्पवासा आरम्भ
२० अक्टूबर - करवाचौथ व्रत
२६ अक्टूबर - धनतेरस
३१ अक्टूबर - दीपावली, कालीपूजा

भातृद्वितीया - 3 नवंबर 2024
छठ संध्याकालीन अर्घ्य - 7 नवंबर 2024 
प्रात:कालीन अर्घ्य - 8 नवंबर 2024
देवोत्थान एकादशी - 12 नवंबर 2024

मकर संक्रांति - 14 जनवरी 2025

सरस्वती पूजा - 3 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि - 26 फरवरी 2025

होलिका दहन - 13 मार्च 2025
होली (फगुआ) - 15 मार्च 2025
रामनवमी - 6 अप्रैल 2025
जुड़-शीतल - 15 अप्रैल 2025
वटसावित्री पूजा - 26 मई 2025

शुक्रवार, 10 मई 2024

आशा के दीप जरेने लिरिक्स - Aasha Ke Deep Jarene Lyrics

आशा के दीप जरेने ममता के डोरी धेने
आशा के दीप जरेने ममता के डोरी धेने
हम आयल छी आहीं के दुआरि माँ
कनी तकियौ ने
हम आयल छी आहीं के दुआरि माँ
कनी तकियौ ने
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ ने -2

साहस तऽ दीय मैया बिपइतियो में रहि ली हम
आबै जे संकट केहनों माँ हैंस हैंस क सहि ली हम
साहस तऽ दीय मैया बिपइतियो में रहि ली हम
आबै जे संकट केहनों माँ हैंस हैंस कऽ सहि ली हम
देलौं नोरे सं चरण पखाइर माँ
कनी तकियौ ने
देलौं नोरे सऽ चरण पखाइर माँ
कनी तकियौ ने
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ ने -2

नै धूप दीप मैया नै अछि बेलपात
फूले ने अक्षत मैया खाली ये हम्मर हाथ
नै धूप दीप मैया नै अछि बेलपात
फूले ने अक्षत मैया खाली ये हम्मर हाथ,
तइयो बैसल छी आहीं के दुआरि माँ
कनी तकियौ ने
तइयो बैसल छी आहीं के दुआरि माँ
कनी तकियौ ने
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ न -2

चाही ने धन आ समपैत ने चाही सोना चाँदी
मांगै छी अगबे ममता रूसल छी किए भवानी
चाही ने धन आ समपैत ने चाही सोना चाँदी
मांगै छी अगबे ममता रूसल छी किए भवानी
कोरा उठा लीय मन में बिचाईर
माँ दरभंगिया के
कोरा उठा लीय मन में बिचाईर
मैथिल प्रशांतो के
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ ने
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ ने
आशा के दीप जरेने ममता के डोरी धेने
आशा के दीप जरेने ममता के डोरी धेने
हम आयल छी अहिं के दुआरि माँ
कनी तकियौ ने - 2
बेटा करै ये गोहाइर माँ कनी तकियौ ने -2

गुरुवार, 9 मई 2024

बरसाइत पूजा 2025, Vat Savitri Vrat 2025

मिथिला धरोहर : वट वृक्ष के पूजन और सावित्री-सत्यवान ( Vat Savitri, Barsait ) के कथाक स्मरण करवा के विधानक कारणे इ व्रत वट सावित्री के नाम सँ प्रसिद्ध अछि।  मिथिलांचल मे एही व्रत के बरसाइत के रूप मे सेहो मनैल जाइत अछि। सावित्री भारतीय संस्कृति मे ऐतिहासिक चरित्र मानल जाइत अछि। सावित्री के अर्थ वेद माता गायत्री और सरस्वती सेहो होइत अछि। सावित्री के जन्म विशिष्ट परिस्थिति मे भेल छलनी। कहल जाइत अछि जे भद्र देश के राजा अश्वपति के कुनो संतान नै छल। राजा संतान के प्राप्ति के लेल मंत्रोच्चारण के संग प्रतिदिन एक लाख आहुति देलथि। अठारह वर्षों धरि इ क्रम जलैत रहल। एकर बाद सावित्रीदेवी प्रकट भऽ के वर देलथि जे 'राजन अहाँके एकटा तेजस्वी कन्या पैदा होयत'।

Barsait Puja Date 2025, वटसावित्री व्रत तिथि 2025 में 26 जुलाई (रवि दिन) के अछि।

इहो पढ़ब :-
सावित्रीदेवी के कृपा सँ जन्म लेबा के कारण सँ कन्या के नाम सावित्री राखक गेलैन। कन्या नमहर भऽ के बहुते रूपवान छलीह। योग्य वर नै भेटवा के वजह सँ सावित्री के पिता दुःखी छलैथ। राजा कन्या के स्वयं वर तकवा लेल भेजलैथ। सावित्री तपोवन मे भटकै लगलि। ओतय साल्व देश के राजा द्युमत्सेन रहैत छलैथ। कियाकि हुनक राज्य कियो छीन लेने छल। हुनक पुत्र सत्यवान के देखि के सावित्री पति के रूप मे हुनक वरण केलथि कहल जाइत अछि जे साल्व देश पूर्वी राजस्थान या अलवर अंचल के आस-पास छला। सत्यवान अल्पायु के छलैथ। ओ वेद ज्ञाता छलैथ। नारद मुनि सावित्री सँ भेट कऽ सत्यवान सँ विवाह नै करवा के सलाह देने छलैथ। मुदा सावित्री सत्यवान सँ बियाह कऽ लेली। पति के मृत्यु के तिथि मे जेखन किछे दिन शेष रही गेल तखन सावित्री घोर तपस्या केने छलि, जाहि के फल हुनका बाद मे भेटक छल।

इहो पढ़ब :-

मिथिलांचल मे अहि पाबनि में बड़क गाछमे जल चढाओल जाइत अछि त नवका बाँसक बियैन आ तारक पंखा सँ वड़ के गाछके होंकल जाइत अछि। व्रतालु स्त्रीगण एहि दिन प्रात: काल नित्यकर्म क' सासुर सँ आनल कपडा पहीर सखी सहेली संगे मंगलगीत गबैत वरक गाछके पूजैत छथि । व्रती महिला निष्ठापुर्वक गौरी आ विषहरके पूजा क' अन्त्यमे सत्यसावित्री आ सत्यवानक कथा सुनैत छथि। पूजा समाप्त भेला के बाद घर पर फूलल बूट (चना) सेहो बाँटल जाइत अछि। सावित्री आ सत्यवानक जीवनगाथासं ई व्रत जूडल हएबाक कारणे अहिवातक लेल महत्वपूर्ण मानल गेल अछि ।

गुरुवार, 2 मई 2024

नाग नागिन आ विद्वान ब्राह्मण : बरसाइत पावनिक कथा - Vat Savitri Katha in Maithili

गौरी गणपति ध्यान करि ,सिर वर पत्रक पाग |
कथा सुनय जे प्रेम सँ, बाढय भाग सोहाग ||”
मिथिलाक कोनो गाम मे एकटा विद्वान ब्राह्मण छलाह । हुनक परिवार मे पत्नी ,आ सात टा बालक छलन्हि ।ब्राह्मण अपन विद्वता आ पुरोहितिक बलेँ सुख पूर्वक जीवन ब्यतीत करैत छलाह । एक दिन ब्राह्मणी भानस करबा काल भात रान्हि माँर पसेवाक वर्त्तन केर अभाव मे चुल्हिक पाछू मे एकटा बिहरि मे माँर पसा देलनि । ओहि बिहरि मे एकटा नाग नागिन केर बास छल जकर सात गोट अंडा तप्पत माँरक प्रभाव सँ नष्ट भए गेलैक । ओ नागिन कुपित भय प्रतिज्ञा कएलि जे जहिना ई ब्राह्मणी हमर सात गोट भावी संतान केँ मारि देल अछि तहिना हम आ नाग मिलि एकरो सातो टा बेटा केँ शुभ दिन ताकि ताकि केँ डसि केँ मारि देब । ई निश्चय कए नाग नागिन ब्राह्मणक घरक आबास त्यागि गामक बाहर एक गोट वरक गाछक जड़िक बीहरि मे चल गेल । 
ब्राह्मणक प्रथम पुत्र जखन विवाहक बाद दुरागमन कए कनियाँ सहित गाम वापस अबैत छलाह तँ ओहि गाछक तर अबिते ब्राह्मणकुमार केँ नाग डसि लेलक आ ओ ठामहि प्राण त्यागि देल । एबं प्रकारेँ एहने दुर्घटना ब्राह्मणक पांचो और बेटाक संग विवाहक उपरान्ते घटित भेल । आब ब्राह्मण केँ मात्र एकटा कुमार पुत्र बचि गेलन्हि । ब्राह्मण सोचल जे हमर छओ पुत्रक मृत्यु विवाहक उपरान्ते भेल अछि तदर्थ एहि पुत्रक विवाहे नहि कराएब । ब्राह्मणक छोट पुत्रक विवाह लेल अनेक घटक आ कन्यागत अएलाह मुदा ब्राह्मण देवता अपन प्रतिज्ञा पर अटल रहलाह । एम्हर आबि ब्राह्मण केँ दरीद्राक अभिशाप सेहो ब्याप्त भय गेल । घर मे साँझक सांझ उपास होमय लागल । ब्राह्मण अपने रोगी आ अकर्मण्य भए गेलाह । तदर्थ शिक्षा आ पुरिहिती कर्म सँ आय समाप्त भय गेल । ब्राह्मण कुमार पिताक पग चिन्ह पर चलबाक अथक प्रयास कएल मुदा ओ एहि कार्य मे जमि नहि सकलाह । एहना स्थिति मे ब्राह्मण पुत्र कतहु जाए अर्थ कमाय माए बापक पोषण करबाक दृढ निश्चय कऽ गाम सँ कोनो नगरक हेतु प्रस्थान कएल ।

इहो पढ़ब :-

नगरक यात्रा क्रम मे ओ एक गामक बाटेँ चल; जाइत छलाह कि ओहि गामक एक झुण्ड कुमारि कन्या कोनो आन गामक प्रसिद्द मंदिर मे पूजा करबाक निमित्त हिनक पाछू पाछू चलय लागलि । ब्राह्मण कुमार अपन जूता केँ हाथ मे नेने छलाह आ अत्यंत तीख रौद रहितहुँ अपन छाता केँ मोड़ि कांख तर दबने छलाह । हुनक एहन उटपटांग कार्य देखि कुमारि कन्याक झुण्ड सँ एकटा कन्या हँसइत अपन संगी सहेली सँ कहलि जे देखैत जाह हे ,दाय सभ आगू आगू जाइत एहि ब्राह्मण कुमारक तमाशा । तीख रौद रहितहुँ ई मुर्ख छाता केँ कांख मे दबने अछि आ जूत्ता केँ पैर मे नहि पहिरि हाथ मे टँगने अछि । सखीक ब्यंग्य सूनि ओहि मे सँ एकटा सुदर्शना आ बुधियारि बाजलि - जे नहि है, ई ब्राह्मण कुमार परम चतुर अछि । एखन बाट साफ़ आ काँट कुश रहित अछि तदर्थ ई अपन जूताक ब्यबहार नहि कए ओकर घसाएब आ टूटब सँ रक्षा कए रहल अछि आ छाता एहि लेल कांख तर दबने अछि जे एहि रौद में चड़ै- चुनमुनी आदिक कोनो शंका नहि जे वस्त्रादि वा देह पर बीट कऽ अपवित्र कए देत । कनेक काल बाद एकटा नाला आएल तँ ब्राह्मणपुत्र चट जूता पहिर नाला मे प्रवेश कए गेलाह से देखि पूर्वक सखी फेर हँसि कहल जे तोँ एकरा बुधियार कहलह ? मुदा ई तँ जूता केँ पैन में पहिर नष्ट करबाक पर तुलल अछि । ताहि पर दोसर सखी बाजलि नहि है ,बहिना ! एहू कार्य में एकर बुधियारिये अछि जूता शरीरक रक्षा हेतु अछि। कहीँ जलक नीचाँ केर कंकर पाथर आदि पैर में गरए नहि तेँ ई जूता पहिरलेल अछि।

इहो पढ़ब :-

किछु कालक उपरान्त ब्राह्मण कुमार एकटा वृक्षक छाया मे सुस्तेबाक हेतु बैसलाह तँ छाया मेअपन छाता तानि लेल से हुनक उनटा ब्यापार देखि प्रथम कुमारी फेर हँसि देलक तँ ओकर सुदर्शना सखी कहलि जे देखह सखी ,एहि गाछक शाखा पर अनेक चिड़ै चुनमुन्नी सभ बैसल अछि जे अचानक बीट कऽ वस्त्र आ देह ने घिनाए दिअए तदर्थ ई छाता तनने छथि । ब्राह्मण कुमार एहि सुदर्शना आ परम चतुरा कन्याक सभ बात सुनैत छलाह आ हिनक बुद्धि आ रूप सँ मोहित भए हिनका सँ विवाह करबाक निश्चय कऽ हिनक पिता सँ अपन परिचय दैत कन्या सँ विवाह करबाक प्रस्ताव राखल । कन्याक पिता प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार कए अपन कन्याक विवाह हिनका सँ कराए देल।
विवाहक पाँचमे दिन कन्या केँ वरक संग बहुत रास धन आ जैतुक संग विदा कए देल । ब्राह्मण कुमारक गाम ओहि ठाम सँ तीन दिनक रास्ता छल आ ओही दिन वत सावित्री पर्व सेहो छल तदर्थ ओ कन्या अपन माए सँ कहि बरिसाइत पूजाक सभ सामिग्री सेहो लय लेलनि जे बाटहि मे कोनो गाछ तर बैसि पावनि कए लेब । संयोग एहन जे ओ लोकनि अबैत अबैत ओही वृक्षक निकट पावनि करबालय रुकलीह जतय नाग नागिन केर निवास छल । नाग नागिन ब्राह्मण कुमार आ हुनक पत्नी केँ देखि प्रसन्न भय उठल जे जे हमरा सभक प्रतिज्ञाक पूर्ति अनायासे भऽ गेल । एम्हर ब्राह्मण कुमारक नवौढा पत्नी ओहि गाछ तर पूजा कर्बाक निमित्त सामिग्री सभ पसारए लगलीह तँ चट दय नाग अत्यंत लघु रूप धारण कए पूजाक सामिग्री मे सँ खिरोधिनी मे प्रवेश कए गेल जे अवसर अएने कुमार केँ डसि लेब । नागक ई कार्य कुमारक पत्नी देखि रहल छलीह । शीघ्रता सँ ओ खिरोधिनी जे जे माँटिक लोटा आकारक पात्र होइत अछि तकरा एकटा सरवा सँ झाँपि अपन जांघ तर मे दावि पूजा करए लगलीह । एहि प्रकारेँ नागक प्राण संकट मे देखि नागिन भयातुर भए ब्राह्मणी सँ हाथ जोड़ि कातर स्वर मे अपन वर माँगल । नागिन केर आतुरता निरखि ओ कन्या बाजलि – “जे तोँ हमर मर दे आ अपन वर ले।” तखन ओ नागिन ब्राह्मणक मुइल छओ भाय केँजीवित कए देलक । तखन ओ कन्या सेहो नाग केँ छोड़ि देल आ सातो भाय एक संगे घर विदा भेलाह । ब्राह्मण कुमार सातो भाए घर पहुँचलाह आ हुनक माए सभ केँ परिछि हुलसि केँ घर आनल ।

एहि कथाक समाप्ति पर पूजा लग बैसलि सभ स्त्री अपन अपन माथ पर सँ जे वरक पात नेने छलीह तकरा उतारि ओहि केँ खोंटि खोंटि मर दे कहि आगू मे आ वर ले कहि पाछू मे फेकय लगलीह । पूजाक विसर्जन भेला पर अइहव ,कुमारि भोजन कराओल गेल ।